कल शुभ योगों में शुरु हो रही गणेश चतुर्थी, जाने मुहूर्त और विधि

सनातन धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं है एक आता है तो दूसरा जाता है लेकिन इन सभी में गणेश चतुर्थी को बेहद ही खास माना जाता है जो कि शिव पार्वती के पुत्र गणेश की पूजा आराधना को समर्पित होता है। यह पर्व पूरे दस दिनों तक चलता है जिसमें भक्त गणपति को अपने घर लाकर उनकी स्थापना, पूजा और व्रत आदि करते हैं आखिर में अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन किया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दस दिन श्री गणेश धरती पर आते हैं और अपने भक्तों के दुखों को दूर कर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी पावन दिन पर श्री गणेश का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इसे गणेश जन्मोत्सव के मना से भी जाना जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी का आरंभ 19 सितंबर दिन मंगलवार यानी कल से हो रहा है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गणेश चतुर्थी का उत्तम मुहूर्त, विधि और अन्य जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
गणेश स्थापना की तिथि,Ganesh installation date,पंचांग अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर दिन सोमवार की दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से आरंभ हो रही है और 19 सितंबर की दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में चतुर्थी तिथि का सूर्योदय 19 सितंबर दिन मंगलवार को होगा। इसलिए गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा और इसी पावन दिन पर गणेश प्रतिमा की स्थापना करना शुभ रहेगा।
घर के लिए गणेश प्रतिमा की स्थापना का उत्तम मुहूर्त—
ज्योतिष अनुसार 19 सितंबर को सुबह 9 बजकर 30 मिनट से 11 बजे तक पहला शुभ मुहूर्त रहेगा। इसके बाद 19 सितंबर को ही सुबह 11 बजकर 25 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजे तक दूसरा शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा है। इस मुहूर्त में भक्त अपने घर में गणेश प्रतिमा को स्थापित कर सकते हैं।
दुकान, आफिस और फैक्ट्री के लिए शुभ समय—
भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को 10 बजे से 11 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 20 मिनट तक होने वाला है।
गणपति पूजा और स्थापना की विधि—
सबसे पहले गणेश चतुर्थी के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद व्रत का संकल्प लें और जहां गणेश जी की स्थापना करनी है वहां की साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव कर उसे शुद्ध करें। अब शुभ मुहूतर्ज में पूजन शुरु करें। सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा एक बाजोट यानी पटिए पर स्थापित करें। इसके बाद ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करते हुए शुद्ध घी का दीपक जलाएं। श्री गणेश के पास जल से भरा कलश रखें। इसके बाद स्वस्तिक बनाएं और नारियल रखें। कलश के मुख पर मौली बांधें। इसके बाद श्री गणेश को तिलक करें। एक एक करके सभी पूजन सामग्री भगवान को अर्पित करें। फिर हल्दी लगी हुई दूर्वा अर्पित करें और इस दौरान ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप जरूर करें। अब श्री गणेश को भोग लगाएं और कपूर से आरती करें। पूरे दस दिनों तक रोजाना भगवान की ऐसे ही पूजा करें।
श्री गणेश आरती—
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
एक दन्त दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
अन्धन को आंख देत कोढिऩ को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
हार चढ़े फुल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डूवन का भोग लगे संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
दीनन की लाज रखो, शंभू पुत्र वारी।
मनोरथ को पूरा करो, जय बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।।
