अस्पताल में चिकित्सकों की कमी की वजह से लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा

गुमला सदर अस्पताल में चिकित्सकों की कमी की वजह से लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, सरकार ने हाल में भी जब चिकित्सकों का स्थानांतरण किया, उसमें भी चार चिकित्सकों की कमी और बढ़ गयी. जिससे लोगों को और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा. गुमला जिला के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार कितना गंभीर है. इस बात का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि लगातार जिला में चिकित्सकों की कमी का मामला उठाने के बाद भी हाल में हुए चिकित्सकों के स्थानांतरण में और चार चिकित्सक कम हो गए. जबकि सूबे के प्रभारी मंत्री राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव हैं, जो खुद को अदिवासियों का हितैषी होने का दावा करते हैं.
 अस्पताल में चिकित्सकों की कमी की वजह से लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहाचिकित्सकों की कमी से हो रही परेशानी
आपको मैं बता दूं कि गुमला जिला झारखंड का एक मात्र ऐसा आदिवासी बहुल गरीब जिला है, जहां के लोग स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर पूरी तरह सदर अस्पताल पर ही आश्रित हैं. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो सरकार की पूरी उदासीनता की वजह ऐसी परिस्तिथि बनी है. जबकि लगातार यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की लचरता को लेकर सवाल उठता रहा है. स्थानीय लोगों ने कहा कि अब जिला के उपायुक्त से ही उम्मीद है कि या तो सरकार को पत्र लिखकर चिकित्सक की व्यवस्था करें या फिर स्थानीय स्तर पर ही कुछ व्यवस्था करें. ताकि लोगों को कुछ राहत मिल सके.
उम्मीद पर फिरा पानी
जिला में चिकित्सकों की कमी को लेकर पहले से ही जिले के सिविल सर्जन डॉ राजू कच्छप की ओर से सरकार को पत्र लिखते रहे हैं. उन्हें भी उम्मीद थी कि इस बार के पोस्टिंग में जिला को नए चिकित्सक मिलेंगे, लेकिन उन्होंने बताया कि जिला से ग्यारह चिकित्सकों को स्थानांतरित किया गया. केवल सात चिकित्सक ही जिला को दिया गया, जिससे चार चिकित्सक और कम हो गए. उनकी मानें तो ओपीडी में प्रति दिन 300 से अधिक मरीज को देखने के साथ ही प्रसव के लिए काफी मरीज आते हैं. ऐसे में उन्हें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
सरकार की उदासीनता
आपको बता दूं कि जिला के सदर अस्पताल पर लगातार मरीजों का भार बढ़ रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से ध्यान ना देना आदिवासियों की स्वास्थ्य को लेकर सरकार की उदासीनता को दर्शा रहा है. सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने को आदिवासियों की हितैषी होने का जो दावा करते हैं, उसकी जमीनी हकीकत इससे पता चलती है. जबकि विगत विधानसभा चुनाव में जिला के तीनों विधानसभा की सीट पर जेएमएम के विधायक विजय हुए हैं, जो सरकार में शामिल है. उन्हें भी जिले की स्वास्थ्य व्यावस्था को लेकर चिंता नहीं है. ऐसे में जिले की जनता पूरी तरह से भगवान भरोसे हैं.


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