जनता तक नहीं पहुंच पा रही रिसर्च

धर्मशाला। जियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. एच.के. गुप्ता ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि 21वीं शताब्दी के 22 वर्ष पूरे हुए हैं। इन 22 वर्षों में भूकंप व भूकंप जनित सुनामी से जितनी जानें गई हैं, उतनी 20वीं सदी में नहीं गई थीं। उन्होंने कहा कि हम जो भी रिसर्च कर रहे हैं वह जनता तक नहीं पहुंचा पा रही है। हमें भूकंप के साथ रहना है। कैसे रहना है, यह सीखना है। कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनके द्वारा यह संभव है। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में हिमालय और आपदा प्रबंधन में भू गतिकी पर 3 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में एच.के. गुप्ता ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जनता को सूचित किया जाना चाहिए कि भूकंप के दौरान हमें क्या सावधानी करनी चाहिए। ऐसे मकान बनाए जाएं जोकि भूकंपरोधी हों। उन्होंने प्रतिवर्ष भूकंप दिवस मनाने के बारे में प्रस्ताव रखा।

कार्यशाला का उद्घाटन हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने किया। कार्यशाला में तीन तक यहां मंथन होगा। एक व्हाइट पेपर तैयार किया जाएगा, जिसे हिमाचल और केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। ऐसी आपदाओं को कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए। प्राकृतिक आपदाओं को लेकर पूर्व सूचना की दिशा में कार्य करके उन्हें कम किया जा सकता है। दूसरी तरफ मेन मेड आपदा पर सौ फ ीसदी काबू पाया जा सकता है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशक डी.सी. राणा ने कहा कि हिमाचल भूकंप और भूस्खलन की दृष्टि से बहुत ही संवेदनशील है। वैज्ञानिक और शोधार्थी सहित पॉलिसी मेकर्स के बीच में डायलॉग रहना चाहिए। वैज्ञानिकों के पास रिसर्च की जो जानकारियां हैं वे फ ील्ड तक पहुंचें। उन्होंने हिमालय को तीसरा धु्रव बताया तथा हिमाचल प्रदेश में हाल ही में भूस्खलन व बाढ़ को केदारनाथ त्रासदी के बाद पहली बार घटित आपदा बताया। प्रोफैसर ए.के. महाजन ने अतिथियों को ‘हथौड़ा’ को भूवैज्ञानी की पहचान बताते हुए उपहार में दिया और शोध पत्रयुक्त विवर्णिका के साथ पर्यावरण विभाग की तरफ से डियाप्रमेंट एट ग्लांस नाम से एक विवरण पत्रिका भेंट स्वरूप दी।