झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के दो गांवों में अज्ञात बीमारी से पांच बच्चों सहित सात की मौत
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रांची (आईएएनएस)। पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड के दो गांवों में फैली अज्ञात बीमारी से एक हफ्ते के भीतर सात लोगों की मौत हो गई है। इनमें पाच बच्चे शामिल हैं। दो दर्जन से ज्यादा बच्चे बीमार हैं। इसकी जानकारी मिलने पर मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीम भेजी जा रही है।
बताया गया कि नोवामुंडी के रेंगो टोला और कांतोड़ेया में तीन वर्षीय टुई अंगरिया, विष्णु सिरका की तीन वर्षीय बेटी, मोची चातोंबा के 10 वर्षीय बेटे दरोगा चातोंबा और सात वर्षीय बेटी माई चातोंबा, सिकुर चातोंबा के तीन महीने के पुत्र का निधन एक जैसे लक्षणों के बाद हुआ।
इनके अलावा 22 वर्षीय कोंदा हेम्ब्रम और 56 वर्षीय सारो बिरुवा की भी मौत हुई है। इन सभी ने पहले सिर और बदन दर्द की शिकायत की। चार से पांच दिनों में सबकी स्थिति बिगड़ी और उन्होंने दम तोड़ दिया।
गांव के कमल देव चातोंबा ने बताया कि अब भी गांव के अधिकतर बच्चे बीमार हैं। पिछड़ा इलाका होने के कारण लोगों में जागरूकता की कमी है। इस वजह से वे अस्पताल के बजाय झाड़-फूंक और घरेलू उपचार कर रहे हैं।
नोवामुंडी प्रखंड के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. हरेंद्र मुंडा ने बताया कि बीमारी की सूचना सोमवार शाम को मिली है। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम दोनों गांवों में भेजी जा रही है।
रांची (आईएएनएस)। पश्चिम सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड के दो गांवों में फैली अज्ञात बीमारी से एक हफ्ते के भीतर सात लोगों की मौत हो गई है। इनमें पाच बच्चे शामिल हैं। दो दर्जन से ज्यादा बच्चे बीमार हैं। इसकी जानकारी मिलने पर मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीम भेजी जा रही है।
बताया गया कि नोवामुंडी के रेंगो टोला और कांतोड़ेया में तीन वर्षीय टुई अंगरिया, विष्णु सिरका की तीन वर्षीय बेटी, मोची चातोंबा के 10 वर्षीय बेटे दरोगा चातोंबा और सात वर्षीय बेटी माई चातोंबा, सिकुर चातोंबा के तीन महीने के पुत्र का निधन एक जैसे लक्षणों के बाद हुआ।
इनके अलावा 22 वर्षीय कोंदा हेम्ब्रम और 56 वर्षीय सारो बिरुवा की भी मौत हुई है। इन सभी ने पहले सिर और बदन दर्द की शिकायत की। चार से पांच दिनों में सबकी स्थिति बिगड़ी और उन्होंने दम तोड़ दिया।
गांव के कमल देव चातोंबा ने बताया कि अब भी गांव के अधिकतर बच्चे बीमार हैं। पिछड़ा इलाका होने के कारण लोगों में जागरूकता की कमी है। इस वजह से वे अस्पताल के बजाय झाड़-फूंक और घरेलू उपचार कर रहे हैं।
नोवामुंडी प्रखंड के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. हरेंद्र मुंडा ने बताया कि बीमारी की सूचना सोमवार शाम को मिली है। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम दोनों गांवों में भेजी जा रही है।
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