आऊटसोर्स के माध्यम से संचालित व विकसित होंगी ईको-टूरिज्म साइट्स: सुक्खू

शिमला। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण वन क्षेत्रों में 11 ईको-पर्यटन स्थल चिन्हित किए हैं। इनमें पालमपुर वन मंडल में स्वार, सौरभ वन विहार, न्यूगल पार्क, बीड़-बिलिंग, पार्वती वन मंडल में कसोल, खीर गंगा व सूमाराेपा, सिराज में सोझा, कोटगढ़ में नारकंडा और शिमला वन मंडल के तहत शोघी कैंपिंग स्थल व पोटर हिल कैंपिंग स्थल शामिल हैं। प्रत्येक ईको-पर्यटन स्थल एक हैक्टेयर क्षेत्र में विकसित होगा। वर्ष 2021 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की फटकार के बाद राज्य में ईको-टूरिज्म साइट्स को बंद कर दिया गया था तथा इन्हें फिर से चलाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है। हिमाचल में वन विभाग अब एक्शन प्लान के तहत ही इन साइट्स का आबंटन करेगा। शिमला में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश ईको-टूरिज्म सोसायटी की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि आऊटसोर्सिंग के माध्यम से विकसित व संचालित किए जाने वाले इन स्थलों के लिए आरक्षित मूल्य निर्धारित किया गया है। सरकार ईको-टूरिज्म पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक अधोसंरचना विकसित कर रही है।

बैठक में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, मुख्य संसदीय सचिव राम कुमार व संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, सचिव वन अमनदीप गर्ग, प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन राजीव कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव विवेक भाटिया व अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि ईको-पर्यटन को प्रोत्साहित करने से राज्य में पर्यटकों की आमद बढ़ेगी और राजस्व में भी इजाफा होगा तथा प्रदेश में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। राज्य में अन्य स्थानों पर भी ईको-पर्यटन स्थल चिन्हित कर उन्हें पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। प्रदेश की ईको टूरिज्म साइट्स को जलाशयों, नदियों, झरनों आदि के साथ जोड़ा जाएगा। इसके लिए इन साइट्स से जलाशयों, नदियों आदि तक लिंक रूट तैयार किए जाएंगे। पुराने रास्तों या ट्रैकिंग रूटों में सुधार किया जाएगा। रास्तों में शौचालय व अन्य जन सुविधाएं सैलानियों को मुहैया करवाई जाएंगी। लीज पर लेने वाले ईको टूरिज्म साइट पर कंकरीट का स्थायी निर्माण नहीं कर पाएंगे। साथ ही वन विभाग प्रदेश के 125 स्थानों पर जलाशयों का निर्माण कर रहा है।