दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग की मानसिक स्थिति अब भी ठीक नहीं


दुष्कर्म की शिकार नाबालिग ऑपरेशन के बाद शारीरिक रूप से तो ठीक महसूस कर रही है, लेकिन मानसिक तौर पर वह अभी डिस्टर्ब है। उसे अस्पताल में एडमिट हुए चार दिन हो गए हैं, लेकिन वह अपने साथ हुई दरिंदगी को भूल नहीं पा रही है। मानसिक रूप से वह बहुत चिड़चिड़ी हो गई और अनजान पुरुष स्टाफ को देखते ही चिल्लाने लगती है। उसकी ऐसी स्थिति को देखते हुए उसके पास अस्पताल और पुलिस के महिला स्टाफ को ही जाने दिया जा रहा है।
�यह दर्द उज्जैन की नाबालिक मासूम रेप पीड़िता का है जो इंदौर के एमटीएच अस्पताल में एडमिट है। यूं तो अस्पताल में इसके पूर्व भी ऐसे कुछ मामले आ चुके हैं, लेकिन इस मासूम के साथ हुई दरिंदगी को सुनकर ही लोगों के साथ अस्पताल स्टाफ की भी रूह कांप जाती है। पुलिस और अस्पताल स्टाफ के अनुसार यहां लाते ही बच्ची का तुरंत इलाज शुरू कर दिया गया था। इस दौरान उसके पास कोई भी पुरुष स्टाफ जाता या वहां से गुजरता तो वह चिल्लाने लगती। उसे अस्पताल की महिला स्टाफ ने नियंत्रित करने की कोशिश की तो भी उसका रवैया ऐसा ही था। सोर्स बताते हैं कि इस दौरान उसके साथ आई महिला तहसीलदार व दो महिला पुलिसकर्मियों ने स्टाफ को वहां से जाने के लिए कहा और उसे संभाला था।
बच्ची की मनोस्थिति अभी ठीक नहीं
डॉक्टरों ने बताया बच्ची फिजिकली अभी ठीक है। ऑपरेशन के बाद रिकवरी हो रही है, लेकिन मनोस्थिति ठीक नहीं है। वह डिप्रेशन में है। इसके लिए मनोवैज्ञानिक की व्यवस्था कर रहे हैं। यह बड़ी दुखद घटना है।
आईसीयू में पुरुष मेडिकल स्टाफ का प्रवेश बंद
नाबालिग की मानसिक स्थिति देखकर स्टाफ भी चिंतित है। सोर्स बताते हैं कि मासूम का गुस्सा और चिड़चिड़ाहट काफी देर तक खत्म नहीं हुई। उसे दवाइयां देने या इंजेक्शन लगाने डॉक्टर या नर्स पास में आती तो वह और उत्तेजित हो जाती। उसकी हालत देखकर स्टाफ भी हैरान रह गया। वे इस संशय में थे कि वह मानसिक रूप से ही बीमार है या उसके साथ हुए हादसे के बाद ऐसी स्थिति हुई है। इसका कारण था कि इसके पूर्व उज्जैन पुलिस ने उसे भिखारी, मानसिक रूप से कमजोर आदि बताया था। इसके चलते अस्पताल स्टाफ भी फिर यही मानने लगा कि वह मानसिक रूप से बीमार है। इस बीच वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर आईसीयू में पुरुष मेडिकल स्टाफ के जाने पर सख्ती से प्रतिबंध किया गया।
दरिंदगी से सदमे में मासूम
मासूम के गुप्तांग में गहरा जख्म है। उसके साथ दरिंदगी ऐसी हुई कि बड़ा हिस्सा फट गया है और काफी ब्लीडिंग हुई है। उसे कई टांके आए हैं। बच्ची की सर्जरी होकर 72 घंटे से अधिक समय हो चुका हैं। सर्जरी में जो टांके आए हैं उनके खुलने में ही एक माह का समय लगेगा। डॉक्टर की एक पैनल ने उसकी सर्जरी की जिसमें गायनिक, पीडियाट्रिक व एनिस्थिशिया एक्सपर्ट शामिल थे। बच्ची अभी सदमे में है। वह नहाने या स्पंज के लिए भी किसी को हाथ नहीं लगाने देती। उसका बिहेवियर इरिटेबल हो गया है। उसे किसी भी प्रकार की दवाई देने, नारियल का पानी देने इस तरह की सॉफ्ट डाइट लेने आदि के लिए काफी समझाना पड़ रहा है। इसके चलते डॉक्टरों ने उसके लिए महिला काउंसलर की व्यवस्था की है। बच्ची ने ड्रेस मांगी तो अस्पताल प्रशासन ने उसे नए कपड़े खरीदकर पहनाए। अस्पताल में सख्त पहरा है। इंदौर पुलिस के अलावा उज्जैन व सतना पुलिस भी तैनात है।

दुष्कर्म की शिकार नाबालिग ऑपरेशन के बाद शारीरिक रूप से तो ठीक महसूस कर रही है, लेकिन मानसिक तौर पर वह अभी डिस्टर्ब है। उसे अस्पताल में एडमिट हुए चार दिन हो गए हैं, लेकिन वह अपने साथ हुई दरिंदगी को भूल नहीं पा रही है। मानसिक रूप से वह बहुत चिड़चिड़ी हो गई और अनजान पुरुष स्टाफ को देखते ही चिल्लाने लगती है। उसकी ऐसी स्थिति को देखते हुए उसके पास अस्पताल और पुलिस के महिला स्टाफ को ही जाने दिया जा रहा है।
�यह दर्द उज्जैन की नाबालिक मासूम रेप पीड़िता का है जो इंदौर के एमटीएच अस्पताल में एडमिट है। यूं तो अस्पताल में इसके पूर्व भी ऐसे कुछ मामले आ चुके हैं, लेकिन इस मासूम के साथ हुई दरिंदगी को सुनकर ही लोगों के साथ अस्पताल स्टाफ की भी रूह कांप जाती है। पुलिस और अस्पताल स्टाफ के अनुसार यहां लाते ही बच्ची का तुरंत इलाज शुरू कर दिया गया था। इस दौरान उसके पास कोई भी पुरुष स्टाफ जाता या वहां से गुजरता तो वह चिल्लाने लगती। उसे अस्पताल की महिला स्टाफ ने नियंत्रित करने की कोशिश की तो भी उसका रवैया ऐसा ही था। सोर्स बताते हैं कि इस दौरान उसके साथ आई महिला तहसीलदार व दो महिला पुलिसकर्मियों ने स्टाफ को वहां से जाने के लिए कहा और उसे संभाला था।
बच्ची की मनोस्थिति अभी ठीक नहीं
डॉक्टरों ने बताया बच्ची फिजिकली अभी ठीक है। ऑपरेशन के बाद रिकवरी हो रही है, लेकिन मनोस्थिति ठीक नहीं है। वह डिप्रेशन में है। इसके लिए मनोवैज्ञानिक की व्यवस्था कर रहे हैं। यह बड़ी दुखद घटना है।
आईसीयू में पुरुष मेडिकल स्टाफ का प्रवेश बंद
नाबालिग की मानसिक स्थिति देखकर स्टाफ भी चिंतित है। सोर्स बताते हैं कि मासूम का गुस्सा और चिड़चिड़ाहट काफी देर तक खत्म नहीं हुई। उसे दवाइयां देने या इंजेक्शन लगाने डॉक्टर या नर्स पास में आती तो वह और उत्तेजित हो जाती। उसकी हालत देखकर स्टाफ भी हैरान रह गया। वे इस संशय में थे कि वह मानसिक रूप से ही बीमार है या उसके साथ हुए हादसे के बाद ऐसी स्थिति हुई है। इसका कारण था कि इसके पूर्व उज्जैन पुलिस ने उसे भिखारी, मानसिक रूप से कमजोर आदि बताया था। इसके चलते अस्पताल स्टाफ भी फिर यही मानने लगा कि वह मानसिक रूप से बीमार है। इस बीच वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर आईसीयू में पुरुष मेडिकल स्टाफ के जाने पर सख्ती से प्रतिबंध किया गया।
दरिंदगी से सदमे में मासूम
मासूम के गुप्तांग में गहरा जख्म है। उसके साथ दरिंदगी ऐसी हुई कि बड़ा हिस्सा फट गया है और काफी ब्लीडिंग हुई है। उसे कई टांके आए हैं। बच्ची की सर्जरी होकर 72 घंटे से अधिक समय हो चुका हैं। सर्जरी में जो टांके आए हैं उनके खुलने में ही एक माह का समय लगेगा। डॉक्टर की एक पैनल ने उसकी सर्जरी की जिसमें गायनिक, पीडियाट्रिक व एनिस्थिशिया एक्सपर्ट शामिल थे। बच्ची अभी सदमे में है। वह नहाने या स्पंज के लिए भी किसी को हाथ नहीं लगाने देती। उसका बिहेवियर इरिटेबल हो गया है। उसे किसी भी प्रकार की दवाई देने, नारियल का पानी देने इस तरह की सॉफ्ट डाइट लेने आदि के लिए काफी समझाना पड़ रहा है। इसके चलते डॉक्टरों ने उसके लिए महिला काउंसलर की व्यवस्था की है। बच्ची ने ड्रेस मांगी तो अस्पताल प्रशासन ने उसे नए कपड़े खरीदकर पहनाए। अस्पताल में सख्त पहरा है। इंदौर पुलिस के अलावा उज्जैन व सतना पुलिस भी तैनात है।
