कलेक्ट्रेट में पोषण समिति सह जिला अभिशरण कार्य योजना की बैठक


बिहार |� कलेक्ट्रेट में पोषण समिति सह जिला अभिशरण कार्य योजना की बैठक हुई.
अध्यक्षता डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने की. बैठक में आईसीडीएस, शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायती राज, जीविका, अनुसूचित जाति एवं जन जाति, कृषि आदि विभागों के द्वारा पोषण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने पर बल दिया गया. निर्णय लिया गया कि अब जिले में पौधरोपण अभियान में पोषण से संबंधित फलदार पौधे लगाए जाएंगे. इसपर सर्वसम्मति से सहमति भी बनी.
भोजन में श्री अन्न सह मोटा अनाज के प्रयोग के लिए जागरूकता फैलाने पर बल दिया गया. डीएम ने बताया कि अपने भोजन में श्री अन्न अर्थात ज्वार, बाजरा, जौ, मलटागून आदि का समावेश करना चाहिए. सुबह के नाश्ते में प्रचुर पोषण तत्वों की प्रचुरता भी आवश्यक है.
नवजातों के स्तनपान पर दिया गया जोर
डीएम ने कहा कि बच्चों के सम्पूर्ण विकास एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के साथ कुपोषण दूर करने में स्तनपान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बच्चों को कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से बचाव एवं तीव्र विकास के लिए जन्म से लेकर छ माह तक सिर्फ स्तनपान एवं छ माह के बाद ऊपरी आहार के साथ-साथ स्तनपान जारी रखना आवश्यक है.
जबकि डिब्बा बंद दूध व बोतल से बाहरी दूध पिलाने से बच्चे को डायरिया, निमोनिया एवं संक्रमण जनित कई गंभीर बीमारियों से बच्चें ग्रसित हो जाते हैं. इसके लिए 0-6 माह के बच्चों को सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराये जाने के लिए जिले के सभी शिशु चिकित्सक के साथ बैठक कर उन्हें जागरूक करने के निर्देश दिए गए.

बिहार |� कलेक्ट्रेट में पोषण समिति सह जिला अभिशरण कार्य योजना की बैठक हुई.
अध्यक्षता डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने की. बैठक में आईसीडीएस, शिक्षा, स्वास्थ्य, पंचायती राज, जीविका, अनुसूचित जाति एवं जन जाति, कृषि आदि विभागों के द्वारा पोषण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने पर बल दिया गया. निर्णय लिया गया कि अब जिले में पौधरोपण अभियान में पोषण से संबंधित फलदार पौधे लगाए जाएंगे. इसपर सर्वसम्मति से सहमति भी बनी.
भोजन में श्री अन्न सह मोटा अनाज के प्रयोग के लिए जागरूकता फैलाने पर बल दिया गया. डीएम ने बताया कि अपने भोजन में श्री अन्न अर्थात ज्वार, बाजरा, जौ, मलटागून आदि का समावेश करना चाहिए. सुबह के नाश्ते में प्रचुर पोषण तत्वों की प्रचुरता भी आवश्यक है.
नवजातों के स्तनपान पर दिया गया जोर
डीएम ने कहा कि बच्चों के सम्पूर्ण विकास एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के साथ कुपोषण दूर करने में स्तनपान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बच्चों को कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से बचाव एवं तीव्र विकास के लिए जन्म से लेकर छ माह तक सिर्फ स्तनपान एवं छ माह के बाद ऊपरी आहार के साथ-साथ स्तनपान जारी रखना आवश्यक है.
जबकि डिब्बा बंद दूध व बोतल से बाहरी दूध पिलाने से बच्चे को डायरिया, निमोनिया एवं संक्रमण जनित कई गंभीर बीमारियों से बच्चें ग्रसित हो जाते हैं. इसके लिए 0-6 माह के बच्चों को सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराये जाने के लिए जिले के सभी शिशु चिकित्सक के साथ बैठक कर उन्हें जागरूक करने के निर्देश दिए गए.
