किसानों को करोड़ों की चपत

ऊना। प्रदूषण के कारण राजधानी दिल्ली के बंद होने से देश की सबसे बड़ी सब्जी मंडी से बाहरी राज्यों का संपर्क टूट गया है। अन्य राज्यों से सब्जी की मालगाडिय़ों को दिल्ली में प्रवेश नहीं मिल रहा है। इसके प्रभाव से हिमाचल के कृषि प्रधान जिला ऊना के कृषि कारोबारियों को करोड़ों रुपयों का नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार में जिला ऊना के किसानों ने सबसे अधिकतम मूल्यों के मुकाबले 3600 रुपये घाटे के साथ 1200 रुपये प्रति क्विंटल आलू की फसल बेची। दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रण में करने के लिए डीजल गाडिय़ों पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिला ऊना का आलू दिल्ली पहुंचने की बजाय अन्य राज्यों की सब्जी मंडियों में जा रहा है और किसानों को फसल के उचित मूल्य नहीं मिल रहे हैं। जिला ऊना में आलू की फसल को खरीदने के लिए ग्वालियर, झांसी, बनारस, आगरा, बंगाल, यूपी से व्यापारी पहुंच रहे हैं और अपनी मनमर्जी के भाव निर्धारित कर आलू की पैदावार खरीद रहे हैं। किसानों को भी मजबूरन कम मूल्यों में फसल को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। फसल की पटाई के शुरूआत में किसानों को 27 अक्तूबर को चंडीगढ़ में 4800 रुपये प्रति क्विंटल आलू के भाव मिले थे, लेकिन अब किसानों को 3600 रुपये घाटे के साथ 1200 रुपये प्रति क्विंटल फसल बेचनी पड़ रही है।

गौर हो कि जिला ऊना में आलू की कच्ची फसल को खरीदने के लिए पंजाब, हिमाचल, दिल्ली, राजस्थान, मुंबई, यूपी, झांसी, हरियाणा सहित कई राज्यों के व्यापारी पहुंचते हैं और हर वर्ष हजारों टन आलू की फसल की खरीददारी करते हैं। गौर हो कि आलू की कच्ची फसल 2 माह 10 दिनों की होती है और पक्की फसल के मुकाबले कम खर्चीली और कम मेहनत वाली होती है। ऊना जिले में 1300 से 1400 हेक्टेयर भूमि में हर वर्ष करीब 27500 मीट्रिक टन आलू की पैदावार होती है, लेकिन इस वर्ष जिला में रिकॉर्ड तोड़ आलू की फसल की पैदावार हो सकती है। क्योंकि कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार आलू की फसल की बिजाई जिला ऊना में करीब 300 हेक्टेयर अधिक भूमि में हुई। जिला ऊना के हरोली के किसानों में होशियार सिंह, दरवारा लाल, नरेश कुमार, मोहन सिंह, सुरेश कुमार, विजय, दिलावर सिंह, विपन कुमार, जगतार सिंह, अवतार सिंह, राज सिंह, रौनक लाल, प्यारा लाल, योरावर सिंह आदि ने कहा कि इस सीजन किसानों की आलू की फसल की पैदावार तो बेहतर हुई, लेकिन उसके मुकाबले में मूल्य सही नहीं मिल रहे हैं। बड़े व्यापारी किसानों की फसल मनमाने मूल्यों पर उठा रहे हैं। इस बाबत जिला ऊना से किसानों में मुकेश कुमार, सन्नी, सतपाल सिंह चौधरी, विकास विक्की, हरीश कुमार, शिव कुमार ने कहा कि किसानों ने इस सीजन में पहले तो भारी बरसात के कारण नुकसान झेलना पड़ा तो उसके बाद कटवर्म ने फसल को तबाह कर दिया। अब किसानों को उचित मूल्य न मिलने से तीसरी बार नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।