खेल मैदान जरूरी होने से छात्रों को लाभ मिलेगा

गाजियाबाद: जिले में स्कूल खोलने से पहले खेल मैदान बनाना जरूरी होगा. इससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा. उनकी खेल प्रतिभा भी निखरेगी. स्कूल खोलने वालों को ज्याद बजट खर्च करना होगा.
जिले में अब स्कूल खोलना आसान नहीं होगा. उससे पहले सभी नियमों एवं शर्तों को पूरा करना होगा, उसके बाद ही बेसिक शिक्षा विभाग स्कूल खोलने के लिए मान्यता प्रदान करेगा. स्कूलों को खोलने के लिए पर्याप्त खेल मैदान, कक्ष और उनके आकार को लेकर शासन ने नियम तय कर दिए हैं. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव ने बताया कि शहरी क्षेत्र में प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए 500 वर्गमीटर और उच्च प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए 1000 वर्गमीटर का खेल मैदान होगा तभी मान्यता मिलेगी.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा देहात क्षेत्र में स्कूल खोलना चाहते हैं तो वहां प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए 1000 वर्गमीटर का खेल मैदान और उच्च प्राथमिक स्कूल के लिए 2,000 वर्गमीटर का खेल मैदान जरूरी होगा. उसके अलावा सभी मूलभूत सुविधाएं भी जरूरी होंगी.
अधिकारियों ने बताया कि पहले से ही स्कूल के लिए आवंटित होने वाले भूखंड में खेल के मैदान का प्रविधान है, लेकिन पहले खेलकूद के लिए मैदान के आकार का कोई सख्त नियम नहीं था.

बीएसए ओपी यादव ने बताया कि शासन ने स्कूल की मान्यता के लिए आवेदन शुल्क में कमी की है. प्राथमिक स्कूल खोलने के लिए पांच हजार और उच्च प्राथमिक की मान्यता के लिए 10,000 रुपये देने होंगे. पहले प्राथमिक के लिए 10 हजार और उच्च प्राथमिक के लिए 15 हजार रुपये देने पड़ते थे.
नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव किया गया
स्कूलों में खेल मैदान के लिए तय मानक नई शिक्षा नीति के तहत हैं. नौनिहालों को प्री प्राइमरी से ही खेलों में दक्ष बनाने के लिए ये बदलाव किया गया है. इससे बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ खेल का हुनर भी सीखेंगे. खेलने के लिए पर्याप्त स्थान मिलने से छात्रों की खेल स्किल भी सुधरेगी और शारीरिक विकास भी होगा.
400 वर्ग फीट का अतिरिक्त कक्ष भी जरूरी
प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूल में 270 वर्ग फीट के तीन कक्ष, 150-150 वर्ग फीट का एक स्टाफ रूम व एक प्रधानाध्यापक कक्ष का नियम पहले से है. लेकिन अब 400 वर्ग फीट का एक अतिरिक्त कक्ष भी अनिवार्य किया गया है. नया नियम लागू होने से स्कूलों की मान्यता लेने में लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.