भविष्य के बुनियादी ढांचे पर सजी कार्यशाला में बोले कृष्ण स्वरूप वत्स


शिमला।�हिमाचल लोक प्रशासन संस्थान एवं हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आपदा जोखिम में कमी तथा भविष्य के बुनियादी ढांचे पर आधारित दो दिवसीय वार्तालाप का आयोजन मंगलवार को हिपा शिमला में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सदस्य, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कृष्ण स्वरूप वत्स ने किया। कृष्ण स्वरूप वत्स ने कहा कि यहां के पहाड़ बड़े कमजोर हैं तथा हमें उन्हें बचाने की भी आवश्यकता है ताकि जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम किया जा सके। ग्लेशियर कम होते जा रहे हैं तथा झीलों में पानी में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिस कारण इनसे भी खतरा बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हुई भारी आपदा से हमें सीखने के साथ-साथ आगामी भविष्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। उन्होंने आपदा के बाद मूल्यांकन की आवश्यकताओं पर विशेष बल दिया। हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान की महानिदेशक निशा सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कोलोकियम श्रृंखला का मुख्य उद्देश्य वर्तमान बुनियादी ढांचे और आपदा तैयारी में पहचान करना है। वहीं मानसून 2023 के दौरान राज्य में आपदाओं को ध्यान में रखते हुए आपदा जोखिम में कमी लाना और भविष्य में बुनियादी ढांचे के लिए प्रभावी रणनीतियों की पहचान करना है। कार्यक्रम के दौरान निदेशक हिपा शुभ करण सिंह ने मुख्य अतिथि, अन्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा दो दिवसीय मंथन शिविर की रूपरेखा रखी।
शिमला।�हिमाचल लोक प्रशासन संस्थान एवं हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आपदा जोखिम में कमी तथा भविष्य के बुनियादी ढांचे पर आधारित दो दिवसीय वार्तालाप का आयोजन मंगलवार को हिपा शिमला में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सदस्य, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कृष्ण स्वरूप वत्स ने किया। कृष्ण स्वरूप वत्स ने कहा कि यहां के पहाड़ बड़े कमजोर हैं तथा हमें उन्हें बचाने की भी आवश्यकता है ताकि जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम किया जा सके। ग्लेशियर कम होते जा रहे हैं तथा झीलों में पानी में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है जिस कारण इनसे भी खतरा बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हुई भारी आपदा से हमें सीखने के साथ-साथ आगामी भविष्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। उन्होंने आपदा के बाद मूल्यांकन की आवश्यकताओं पर विशेष बल दिया। हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान की महानिदेशक निशा सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कोलोकियम श्रृंखला का मुख्य उद्देश्य वर्तमान बुनियादी ढांचे और आपदा तैयारी में पहचान करना है। वहीं मानसून 2023 के दौरान राज्य में आपदाओं को ध्यान में रखते हुए आपदा जोखिम में कमी लाना और भविष्य में बुनियादी ढांचे के लिए प्रभावी रणनीतियों की पहचान करना है। कार्यक्रम के दौरान निदेशक हिपा शुभ करण सिंह ने मुख्य अतिथि, अन्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा दो दिवसीय मंथन शिविर की रूपरेखा रखी।
