झारखंड : इस जिले में शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल,बदबू और गंदगी के बीच रहने में मजूबर छात्र


सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह विधानसभा क्षेत्र में आने वाली साहिबगंज जिले में प्रदेश सरकार शिक्षा-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बड़े-बड़े डींगे मारकर मंचो से चाहे लाख दावे और वादे कर लें, लेकिन जमीनी स्तर पर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की आंख-मिचौली के कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सपना ढाक के तीन-पात ही साबित हो रहे हैं. दरअसल सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक तरफ स्कूलऑफ एक्सीलेंस के तहत प्रदेश के गरीब और पहाड़िया जनजातीय समुदाय के छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह नगरी बरहेट में जमीनी हकीकत की सच्चाई जिसने भी सुना व देखा उनका जमीन तले पैर फिसल गया.
बरहेट विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का हाल बदहाल
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह नगरी बरहेट प्रखंड पर स्थित अमर शहीद-सिद्धो कान्हू की पैतृक गांव भोगनाडीह में संचालि त एकलव्य विद्यालय के छात्रावास पूरी तरह से जर्जर होकर कबाड़ खाना बन चुका है एवं छात्रावास के आसपास पेशाबखाने की बदबू एवं गंदगीयों का अंबाड़ ऐसे लगा हुआ है. जहां पर जीवन यापन करना छात्राओं के लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नाम मुमकिन है. वहीं, जब इसकी पड़ताल की गई तो सरकार के दावे और वादों की पोल खुल गई. छात्रावास के अंदर स्कूल के जिम्मेदार लोगों के द्वारा जानवर जैसा व्यवहार किया जाता है एवं सरकार की कोई भी सुविधाएं उन्हें उपलब्ध नहीं कराई जाती है.
�शिक्षकों के लिए AC की है व्यवस्था
आपको बता दें कि, अमर शहीद सिद्धो कान्हू के पैतृक गांव में संचालित इस आवासीय विद्यालय में शिक्षक भी है और छात्र भी हैं, लेकिन शिक्षक के बेडरूम में चमकती बिजली व पंखे की जगह AC की व्यवस्था है, लेकिन छात्राओं के लिए पेशाब के बदबूदार और गंदगियों की अम्बड़ वाले रूम हैं. वहीं, छात्राओं के देखभाल के लिए संचालक तो है, लेकिन उनके लिए बेडरूम व्यवस्था दुरुस्त है. इस आवासीय छात्रावास में छात्राओं के लिए बाथरूम भी है. शौचालय भी है, लेकिन साफ-सफाई नहीं है.
जमीन पर सोने को मजबूर बच्चे
यहां सोलर के आलावे बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है. छात्रावास में बेड नहीं होने के कारण गरीब आदिवासी छात्र जर्जर बिल्डिंग की भीगी हुई जमीन पर सोने को मजबूर हैं. साथ ही साथ छात्रावास के आसपास पेड़ की जड़ें तो दीवारों को चीरते हुए अपना रास्ता भी बना रही है और छत से टूटकर गिरता प्लास्टर कबाड़ खाना तो छत से टपकता पानी छात्रावास को दरिया बना रहा है, लेकिन जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इसकी खबर तक नहीं है.
किसी तरफ दिन गुजारते हैं यहां छात्र
वहीं, आपको बता दें कि तीन-चार सौ की संख्यां में इस आवासीय छात्रावास में गरीब आदिवासी छात्र पढ़ाई करते है, लेकिन सुविधा की अभाव वाले इस छात्रावास में छात्राओं को हमेशा ही निराश होकर दिन काटना और घुमसुम होकर रात गुजारना पड़ता है. वहीं, जो गरीब परिवार के बच्चे किसी दूसरे स्कूल में नहीं जा सकते हैं. उन्हें यहीं पढ़ाई कर भागवान से दुआ मांगनी पड़ती है कि काश वह भी किसी अच्छे छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर पाते.
रिपोर्ट - गोविंद ठाकुर
बरहेट विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का हाल बदहाल
शिक्षकों के लिए AC की है व्यवस्था
जमीन पर सोने को मजबूर बच्चे
किसी तरफ दिन गुजारते हैं यहां छात्र

सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह विधानसभा क्षेत्र में आने वाली साहिबगंज जिले में प्रदेश सरकार शिक्षा-व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बड़े-बड़े डींगे मारकर मंचो से चाहे लाख दावे और वादे कर लें, लेकिन जमीनी स्तर पर जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की आंख-मिचौली के कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का सपना ढाक के तीन-पात ही साबित हो रहे हैं. दरअसल सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक तरफ स्कूलऑफ एक्सीलेंस के तहत प्रदेश के गरीब और पहाड़िया जनजातीय समुदाय के छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह नगरी बरहेट में जमीनी हकीकत की सच्चाई जिसने भी सुना व देखा उनका जमीन तले पैर फिसल गया.
बरहेट विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का हाल बदहाल
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गृह नगरी बरहेट प्रखंड पर स्थित अमर शहीद-सिद्धो कान्हू की पैतृक गांव भोगनाडीह में संचालि त एकलव्य विद्यालय के छात्रावास पूरी तरह से जर्जर होकर कबाड़ खाना बन चुका है एवं छात्रावास के आसपास पेशाबखाने की बदबू एवं गंदगीयों का अंबाड़ ऐसे लगा हुआ है. जहां पर जीवन यापन करना छात्राओं के लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि नाम मुमकिन है. वहीं, जब इसकी पड़ताल की गई तो सरकार के दावे और वादों की पोल खुल गई. छात्रावास के अंदर स्कूल के जिम्मेदार लोगों के द्वारा जानवर जैसा व्यवहार किया जाता है एवं सरकार की कोई भी सुविधाएं उन्हें उपलब्ध नहीं कराई जाती है.
�शिक्षकों के लिए AC की है व्यवस्था
आपको बता दें कि, अमर शहीद सिद्धो कान्हू के पैतृक गांव में संचालित इस आवासीय विद्यालय में शिक्षक भी है और छात्र भी हैं, लेकिन शिक्षक के बेडरूम में चमकती बिजली व पंखे की जगह AC की व्यवस्था है, लेकिन छात्राओं के लिए पेशाब के बदबूदार और गंदगियों की अम्बड़ वाले रूम हैं. वहीं, छात्राओं के देखभाल के लिए संचालक तो है, लेकिन उनके लिए बेडरूम व्यवस्था दुरुस्त है. इस आवासीय छात्रावास में छात्राओं के लिए बाथरूम भी है. शौचालय भी है, लेकिन साफ-सफाई नहीं है.
जमीन पर सोने को मजबूर बच्चे
यहां सोलर के आलावे बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है. छात्रावास में बेड नहीं होने के कारण गरीब आदिवासी छात्र जर्जर बिल्डिंग की भीगी हुई जमीन पर सोने को मजबूर हैं. साथ ही साथ छात्रावास के आसपास पेड़ की जड़ें तो दीवारों को चीरते हुए अपना रास्ता भी बना रही है और छत से टूटकर गिरता प्लास्टर कबाड़ खाना तो छत से टपकता पानी छात्रावास को दरिया बना रहा है, लेकिन जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इसकी खबर तक नहीं है.
किसी तरफ दिन गुजारते हैं यहां छात्र
वहीं, आपको बता दें कि तीन-चार सौ की संख्यां में इस आवासीय छात्रावास में गरीब आदिवासी छात्र पढ़ाई करते है, लेकिन सुविधा की अभाव वाले इस छात्रावास में छात्राओं को हमेशा ही निराश होकर दिन काटना और घुमसुम होकर रात गुजारना पड़ता है. वहीं, जो गरीब परिवार के बच्चे किसी दूसरे स्कूल में नहीं जा सकते हैं. उन्हें यहीं पढ़ाई कर भागवान से दुआ मांगनी पड़ती है कि काश वह भी किसी अच्छे छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर पाते.
रिपोर्ट – गोविंद ठाकुर
बरहेट विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा का हाल बदहाल
शिक्षकों के लिए AC की है व्यवस्था
जमीन पर सोने को मजबूर बच्चे
किसी तरफ दिन गुजारते हैं यहां छात्र
