जिले में सिर्फ सात सीडीपीओ कार्यालय में ही स्थायी अफसर

पटना: जिले में शासन स्तर से कुपोषण मुक्त समाज बनाने का अभियान चलाया जा रहा है. कार्यक्रमों के संचालन के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों को प्रमुख रूप से जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन स्थायी सीडीपीओ के नहीं होने से ऐसा हो नहीं रहा. जिले में सीडीपीओ कार्यालय हैं, लेकिन सिर्फ सात प्रखंड में ही स्थायी सीडीपीओ हैं, वहीं दो सीडीपीओ कार्यालय महिला पर्यवेक्षिका से प्रभारी सीडीपीओ बनाई गईं के भरोसे चल रहा है. ऐसे में 9 सीडीपीओ कार्यालय की सीडीपीओ 10 सीडीपीओ कार्यालय चला रही हैं. इनमें मैरवा, दरौली व दरौंदा की सीडीपीओ को छोड़ सभी के पास दो-दो या एक सीडीपीओ कार्यालय का अतिरिक्त प्रभार है. यहां तक कि जिला मुख्यालय में सीवान सदर प्रखंड की सीडीपीओ मधुलता व महाराजगंज अनुमंडल मुख्यालय में महाराजगंज सीडीपीओ कार्यालय की सीडीपीओ कलावती कुमारी के पास भी दो-दो सीडीपीओ कार्यालय का अतिरिक्त प्रभार है. जानकारों के अनुसार, सीवान सदर प्रखंड, मैरवा, महाराजगंज, दरौली, भगवानपुरहाट, बड़हरिया व दरौंदा सीडीपीओ कार्यालय में स्थायी सीडीपीओ हैं, वहीं नौतन व आंदर सीडीपीओ का कार्य प्रभारी सीडीपीओ के रूप में महिला पर्यवेक्षिका संभाल रही हैं. बताते हैं कि नौतन व आंदर में करीब दो वर्षों से महिला पर्यवेक्षिका ही प्रभारी सीडीपीओ के रूप में कार्य कर रही हैं. वहीं जहां पर स्थायी सीडीपीओ नहीं हैं, वहां कार्यालय के कार्यपालक सहायक या बड़ा बाबू ही मुख्य रूप से सारी व्यवस्था संभालते हैं. स्थायी सीडीपीओ नहीं होने से उनकी मनमानी भी किसी न किसी रूप में खूब चलती है. हालांकि कार्यपालक सहायक या बड़ा बाबू के कार्यकलाप पर उठते सवाल को लोग किसी न किसी रूप में कार्यालय के वरीय अधिकारी का सहयोग प्राप्त होना भी बताते हैं.
