भारत का सबसे अनोखा गांव, जहां 350 साल पुराना हर घर का आंगन है सूना
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ऐसा कहा जाता है कि जब तक घर के आंगन में यज्ञवेदी बनाकर सात परिक्रमा नहीं की जाती, तब तक घर का आंगन सूना रहता है। देश में शायद ही कोई आंगन हो जो कुंवारा हो, लेकिन आज हम बात करेंगे एक ऐसे गांव की जहां हर घर में कुंवारा आंगन है। यह बात सुनकर आपको हैरानी हो सकती है लेकिन सीमावर्ती बाड़मेर में एक ऐसा गांव है जहां शादियां किसी के घर पर नहीं बल्कि गांव के मंदिर में होती हैं।
पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के आटी गांव में सभी शादियां यहां के मंदिर में होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर मंदिर में शादी नहीं हुई तो बहू या बेटी कभी गर्भधारण नहीं करेगी। आज भी गांव के बेटे-बेटियों की शादी गांव की चामुंडा माता के मंदिर में होती है। यही कारण है कि आटी गांव के जयपाल परिवार के हर घर का आंगन 350 साल से सूना है। ऐसी परंपरा है कि जो परिवार ऐसा नहीं करता उसके घर में बच्चे की किलकारी नहीं गूंजती। यही कारण है कि गांव में रहने वाले जयपाल परिवार बाड़मेर के आटी गांव में चामुंडा माता के मंदिर में सात फेरे लेते हैं।
चामुंडा माता के मंदिर में ही शादी की शहनाई बजती है और दूल्हा वहीं तोरण भी लेता है और सात फेरों की पूरी रस्म वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरी की जाती है। बेटी के सात फेरों के अलावा गांव में पहला कदम रखने वाली नई दुल्हन को पहले मंदिर में रखा जाता है, जिसके बाद वह अपने नए घर में प्रवेश करती है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष मेहतराम जयपाल का कहना है कि ऐसा नहीं है कि मंदिर में सिर्फ बेटियों की ही शादी होती है. इस मंदिर में पुत्रों का विवाह संस्कार भी किया जाता है। बारात के आगमन पर नवविवाहित दुल्हन को भी मंदिर में ठहराया जाता है। उसके बाद रात्रि जागरण और अगली सुबह पूजा के बाद दुल्हन को घर में प्रवेश कराया जाता है। यह भी माना जाता है कि अगर इस मंदिर में किसी लड़की की शादी नहीं की गई तो उसकी कोख सूनी रह जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि जब तक घर के आंगन में यज्ञवेदी बनाकर सात परिक्रमा नहीं की जाती, तब तक घर का आंगन सूना रहता है। देश में शायद ही कोई आंगन हो जो कुंवारा हो, लेकिन आज हम बात करेंगे एक ऐसे गांव की जहां हर घर में कुंवारा आंगन है। यह बात सुनकर आपको हैरानी हो सकती है लेकिन सीमावर्ती बाड़मेर में एक ऐसा गांव है जहां शादियां किसी के घर पर नहीं बल्कि गांव के मंदिर में होती हैं।
पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के आटी गांव में सभी शादियां यहां के मंदिर में होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर मंदिर में शादी नहीं हुई तो बहू या बेटी कभी गर्भधारण नहीं करेगी। आज भी गांव के बेटे-बेटियों की शादी गांव की चामुंडा माता के मंदिर में होती है। यही कारण है कि आटी गांव के जयपाल परिवार के हर घर का आंगन 350 साल से सूना है। ऐसी परंपरा है कि जो परिवार ऐसा नहीं करता उसके घर में बच्चे की किलकारी नहीं गूंजती। यही कारण है कि गांव में रहने वाले जयपाल परिवार बाड़मेर के आटी गांव में चामुंडा माता के मंदिर में सात फेरे लेते हैं।
चामुंडा माता के मंदिर में ही शादी की शहनाई बजती है और दूल्हा वहीं तोरण भी लेता है और सात फेरों की पूरी रस्म वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरी की जाती है। बेटी के सात फेरों के अलावा गांव में पहला कदम रखने वाली नई दुल्हन को पहले मंदिर में रखा जाता है, जिसके बाद वह अपने नए घर में प्रवेश करती है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष मेहतराम जयपाल का कहना है कि ऐसा नहीं है कि मंदिर में सिर्फ बेटियों की ही शादी होती है. इस मंदिर में पुत्रों का विवाह संस्कार भी किया जाता है। बारात के आगमन पर नवविवाहित दुल्हन को भी मंदिर में ठहराया जाता है। उसके बाद रात्रि जागरण और अगली सुबह पूजा के बाद दुल्हन को घर में प्रवेश कराया जाता है। यह भी माना जाता है कि अगर इस मंदिर में किसी लड़की की शादी नहीं की गई तो उसकी कोख सूनी रह जाती है।
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