कृषि बाजार समिति है भंग, फिर भी प्रभारी सचिव ने बेच दीं दुकानें

झारखण्ड | झारखंड की कृषि बाजार समितियां भंग हैं. ऐसे में अभी कोई भी नीतिगत फैसला जिलों की समिति के अधिकारी नहीं ले सकते हैं. इसके बावजूद धनबाद कृषि बाजार समिति के प्रभारी सचिव पर समिति के नियंत्रणाधीन दुकानों को बेचने का मामला प्रकाश में आया है. इन दुकानों को उत्तर प्रदेश के एक व्यापारी के हाथों बेचने का मामला प्रकाश में आया है.
धनबाद बाजार समिति के प्रभारी सचिव राकेश कुमार सिंह ने मार्केट कमेटी भंग होने के बावजूद यूपी के व्यापारी ब्रजमोहन राठौड़ के हाथों 40 लाख रुपए में दो दुकानों का सौदा कर दिया. मार्केट सेक्रेटरी के स्तर पर दुकान आवंटन से संबंधित आदेश भी नौ सितंबर की तिथि से जारी कर दिया गया है. इसका खुलासा आदेश की कॉपी वायरल होने के बाद हुआ है. राकेश सिंह को गढ़वा में एसीबी ने 2016 में एक दुकान आवंटन के नाम पर दुकानदार से एक लाख रुपए घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था. लगभग तीन माह तक वे न्यायिक हिरासत में भी थे. इसके बावजूद तत्कालीन एमडी मनोज कुमार ने उन्हें धनबाद बाजार समिति का प्रभारी सचिव बना दिया.
सुपरवाइजर के साथ मिलकर किया दुकान का सौदा सूत्रों का कहना है कि यूपी के व्यापारी ब्रजमोहन राठौड़ के हाथों इन दुकानों का सौदा प्रभारी मार्केट सचिव और उनके सहयोगी सुपरवाइजर के माध्यम से किया गया. दोनों अधिकारियों ने मिलकर महेश एडिबल प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रोपराइटर ब्रजमोहन राठौड़ को दोनों दुकानें बेचीं. इससे संबंधित आदेश बाजार समिति के प्रभारी सचिव ने 9 सितंबर 2023 को कार्यालय आदेश संख्या 31 में जारी किया है. इस आवंटन पत्र के अनुसार ब्रजमोहन के नाम दुकान संख्या 33 और 34 आवंटित की गई है, जिसका क्षेत्रफल 532 वर्गफीट बताया गया है. सचिव ने अपने पत्र में दोनों दुकानों का आवंटन समिति के राजस्व हित में करना बताया है. दुकान आवंटन के साथ ही उन्होंने ब्रजमोहन राठौड़ के समक्ष नौ शर्तें रखी हैं. इनमें निर्मित दुकान का मासिक किराया चार रुपए प्रति वर्गफीट की दर से भुगतान करने के साथ-साथ सौ रुपए के नन ज्यूडिशियल स्टांप पर 10 हजार रुपए सुरक्षित जमा राशि के रूप में भी जमा करने को कहा है.
बाजार समिति भंग है, ऐसे में नहीं हो सकता दुकान का आवंटन सूत्रों का कहना है कि राज्य की सभी बाजार समितियां भंग हैं. ऐसे में दुकान का आवंटन नहीं किया जा सकता. आवंटन से पहले न तो अखबारों में विज्ञापन दिया गया और न ही दुकान आवंटन के लिए कहीं नोटिस बोर्ड पर लगाया गया. सूत्रों का यह भी कहना है कि यह तो एक उदाहरण है, जिसका पत्र वायरल होने के कारण सार्वजनिक हो गया है. बताया जा रहा है कि प्रभारी सचिव ने सुपरवाइजर के साथ मिलकर एक आईबी समेत 10-12 दुकानों का आवंटन कर दिया.
