मंगल ग्रह पर मिला पानी, वैज्ञानिक बोले- रहने लायक है जगह

अमेरिका | अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जब से मंगल ग्रह पर अपना मिशन भेजा है, तब से उसे वहां जीवन से जुड़े कई सबूत मिले हैं। खासतौर पर नासा के ‘क्यूरियोसिटी’ रोवर ने कई अहम जानकारियां जुटाई हैं। इस रोवर द्वारा देखी गई मिट्टी की दरार के पैटर्न का विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिक अब इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मंगल ग्रह पर कभी पानी था, जो वाष्पित हो गया। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि किसी समय मंगल शुष्क और गीले मौसम चक्र वाला ग्रह रहा होगा, जिसका अर्थ है कि यह रहने योग्य था।
यह अध्ययन फ्रांस, अमेरिका और कनाडा के वैज्ञानिकों ने किया है, जो नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में शामिल लेखकों में से एक नीना लैंज़ा ने कहा कि मिट्टी की दरारें हमें उस समय के बारे में समझाने की कोशिश करती हैं जब मंगल ग्रह पर कुछ मात्रा में तरल पानी मौजूद था।’क्यूरियोसिटी’ रोवर पर लगे केमकैम उपकरण ने मिट्टी की दरारों का पता लगाने में मदद की। वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर मिट्टी में दरारें बनने से पहले तक पानी मौजूद था। यानी ये दरारें कई लाख साल पुरानी हो सकती हैं.
मंगल ग्रह की जो तस्वीरें शेयर की गईं उन्हें देखकर लग रहा था कि लाल ग्रह पर पानी की झील रही होगी. नासा का भी मानना था कि मंगल ग्रह पर पहले कोई झील रही होगी. यह साक्ष्य मंगल ग्रह के एक क्षेत्र में पाया गया जिसे सल्फेट बियरिंग यूनिट के नाम से जाना जाता है। पहले शोधकर्ता यह मान रहे थे कि यहां बनी चट्टानें सिकुड़ रही हैं। बाद में उन्हें पता चला कि ये पानी के किसी प्राचीन स्रोत का संकेत हैं।
