सामने दिवाली, इन कर्मचारियों के वेतन पर संकट

यूपी। तेजी से हो रहे शहरीकरण के बाद भी छोटे विकास प्राधिकरणों के पास भूमि बैंक खत्म हो रहे हैं। इससे उनके सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। यही स्थिति रही तो आने वाले समय में इन विकास प्राधिकरणों में वेतन का संटक हो सकता है। बता दें कि विकास प्राधिकरण स्वायत्तशासी हैं इसलिए शासन से उनके लिए अलग से कोई बजट नहीं होता। उन्हें खुद ही अपनी आमदनी का इंतजाम करना होता है। शासन स्तर से संबंधित विकास प्राधिकरणों को जमीन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रदेश के छोटे विकास प्राधिकरणों आजमगढ़, बागपत, बस्ती, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, खुर्जा, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुफ्फरनगर, रामपुर, सहारनपुर विशेष क्षेत्र वाले विकास प्राधिकरणों में कपिलवस्तु और चित्रकूट के पास भूमि बैंक खत्म हो गया है। स्थिति यह है कि जमीन न होने से ये कोई नई योजनाएं नहीं ला पा रहे हैं। शासन स्तर पर हुई बैठक में इसको लेकर चिंता व्यक्त की गई। संबंधित विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि भूमि बैंक बनाने के लिए रास्ता निकाले। समझौते के आधार पर जमीन लेने की व्यवस्था करें।
विकास प्राधिकरणों के मुख्य आय का स्रोत आवासीय व व्यवसायिक योजनाएं लाने से है। छोटे प्राधिकरण ही नहीं बड़े के पास भी भूमि बैंक धीरे-धीरे समाप्त होने की स्थिति है। आवास विभाग ने विकास प्राधिकरणों से कहा है कि बड़ी जमीनें न मिल पाने की स्थिति में छोटी-छोटी जमीनों की व्यवस्था की जाए। इसके लिए करार किया जाए। किसानों और जमीन देने वालों को साझीदार बनाया जाए। जमीन के एवज में बाजार दर पर मुआवजा दिया जाए, जिससे योजनाएं लाई जा सकें। जमीन न बेचकर अपार्टमेंट बनाए जाएं। छोटे मकानों को बनाने में तरजीह दी जाए, जिससे निम्न व मध्य आय वर्ग के लोगों की आवासीय जरूरतें पूरी हो सकें।