बालोद में राजस्व प्रकरण की ओर जिला प्रशासन उदासीन

बालोद। बालोद जिला में सरकार के प्रयास के बावजूद राजस्व प्रकरण की ओर जिला प्रशासन उदासीन है। मुख्यमंत्री की महती योजनाओं के तरफ पानी फेरने का कार्य हो रहा है ताकि जनता का ध्यान सरकार के प्रति निराशाजनक हो। एक तरफ 5 दिनों का कार्य सरकारी दफ्तरों में होता है वही बीच-बीच में छुट्टी और अधिकारियों की बैठकों का सिलसिला इतना व्यापक होता है कि अधिकारी अपनी टेबल में मिलते ही नहीं हैं। बाबू साहब दफ्तर संभाल रहे हैं और जनता भटकते रहती है, जिसकी किसी को परवाह नहीं है। भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी का बोलबाला है। नामांतरण, सीमांकन, फ्री होल्ड सहित अन्य राजस्व मामले एवं सरकार के कार्यक्रम ठंडे बस्ते में महीनों से डंप हैं।इसी बीच में राज्यव्यापी राजस्व अधिकारियों की हड़ताल फिर पटवारियों का लंबी अवधि तक अनशन चलता रहा।
लेकिन अब सभी ओर स्थिरता है फिर भी मामलों का निपटारा नहीं हो रहा है। अधिकारी कर्मचारी जनता को आपस में उलझा कर लड़ा रहे हैं और यही वजह है की अराजकता की स्थिति है। कहीं ना विकास कार्य हो रहा है ना सही ढंग से गौठानों का कार्य संचालित हो रहा है ना ही जनता की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री जी ने भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जिन कार्यों का आश्वासन जनता को दिया था उसका भी समाधान नहीं किया गया है। छत्तीसगढ़ में बालोद जिले की स्थिति बेहद ख़राब है। शिक्षा, स्वास्थ्य, वनीकरण जैसे कार्य ठीक से संचालित नहीं हो रहे हैं वहीं अपराध, शराबखो़री, जुआ – सट्टा और गांजा का का़रोबार फल फूल रहा है। परिवहन,पुलिस,खनिज,जनपद,अजजा, वन विभाग के लोग केवल वसूली अभियान में लगे हुए हैं सरकार की योजनाओं और उसकी नीतियों को नजरअंदाज कर हर कार्य को अंजाम दिया जा रहा है स्थिति इतनी ख़राब है कि 3 विधानसभा क्षेत्रों वाले ज़िले में कोई पुरसाने हाल नहीं है।
