राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला वाले Ex. SC जस्टिस अब्दुल नजीर बने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। जस्टिस नजीर 4 जनवरी, 2023 को रिटायर हुए थे। जस्टिस नजीर ने अपने विदाई भाषण में संस्कृत का एक बहुत ही प्रसिद्ध श्लोक धर्मो रक्षति रक्षितः कोट किया था। उन्होंने श्लोक को समझाते हुए कहा था, “इस दुनिया में सब कुछ धर्म पर आधारित है। धर्म उनका नाश कर देता है, जो इसका नाश करते हैं और धर्म उनकी रक्षा करता है, जो इसकी रक्षा करते हैं।”

राम जन्मभूमि के पक्ष में सुनाया था फैसला
जस्टिस नजीर की सबसे अधिक चर्चा अयोध्या केस के दौरान हुई थी। वह अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाली 5 जजों की बेंच के सदस्य थे। उस बेंच में उनके अलावा तत्कालीन सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (वर्तमान सीजेआई), जस्टिस अशोक भूषण शामिल थे।
बेंच ने नवंबर 2019 में विवादित भूमि पर हिंदू पक्ष के दावे को मान्यता दी थी। जस्टिस नजीर ने भी राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया था। वह पीठ के एकमात्र मुस्लिम न्यायाधीश थे।
नोटबंदी को ठहराया था सही
अपने रिटायरमेंट से ठीक पहले जस्टिस नजीर ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी को सही ठहराया था। पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थीं। जस्टिस नागरत्ना के अलावा चार जजों ने नोटबंदी को सही ठहराते हुए कहा था, “500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता।” बता दें आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने रात 12 बजे से 500 और 1000रु के नोट बंद करने का ऐलान किया था।
तीन तलाक के खिलाफ सुनाया था फैसला
अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने बहुमत के साथ तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। बेंच में अलग-अलग धर्मों के जजों शामिल किया गया था। जस्टिस अब्दुल नजीर ने माना था कि तीन तलाक असंवैधानिक नहीं है।
2017 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज
जस्टिस अब्दुल नजीर फरवरी 2017 में कर्नाटक हाई कोर्ट से प्रमोट होकर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे थे। वह जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे। सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने से पहले वह किसी भी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नहीं रहे थे।
मंगलौर से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस अब्दुल नजीर ने कर्नाटक हाई कोर्ट में करीब 20 सालों तक बतौर अधिवक्ता प्रैक्टिस किया था। साल 2003 में उन्हें हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायधीश नियुक्त किया गया था।
चाचा के खेत में काम करते थे अब्दुल नजीर
जस्टिस अब्दुल नजीर के विदाई समारोह में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने उन्हें ‘पीपल्स जज’ (people’s judge) की उपाधि दी थी। बता दें कि जस्टिस नजीर बहुत सामान्य परिवार से आते हैं। उनका सफर बहुत कठिन रहा है। वह अपने चाचा के खेतों में काम करते हुए और समुद्र तटों पर मछलियां चुनते हुए बड़े हुए हैं। (विस्तार से पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें)