बिहार : शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर कार्रवाई क्यों नहीं करती RJD? पार्टी की मजबूरी है या रणनीति
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पिछले कुछ महीने से बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर लगातार विवादित बयान देते आ रहे हैं. उनके बयानों से गठबंधन के घटक दल भी सहमत नहीं है और कई बार उन पर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं, लेकिन आज तक शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर कोई कार्रवाई उनकी पार्टी ने नहीं की. विवादित बयान देने वाले प्रोफेसर चंद्रशेखर पर कार्रवाई नहीं करना पार्टी की मजबूरी है या रणनीति. बीजेपी का मानना है कि जिस तरीके से राजद के नेता चाहे वह शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर हों या राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह यह लगातार सनातन धर्म के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं ये एक राजनीतिक अभियान है.
राजनीतिक अभियान के तहत बयानबाजी: BJP
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता तारकिशोर प्रसाद कामना है कि यह राजद के राजनीतिक अभियान के तहत यह सब किया जा रहा है. उन लोगों के इस बयान से सनातन धर्म के मानने वाले लोगों की धार्मिक भावना आहत हो रहा है. राजद के इस सनातन विरोधी अभियान का खामियाजा उन्हें 2024 और 25 के चुनाव में भुगतना पड़ेगा. भाजपा नेता ने शिक्षा मंत्री को चुनौती दी की जितनी आसानी से वह सनातन धर्म के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं हिम्मत है तो दूसरे धर्म के बारे में कुछ बोलकर दिखाएं. उन लोगों में कितनी हिम्मत है वह पता चल जाएगा.
बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर लगातार सनातन धर्म एवं रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं.
11 जनवरी को शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था.
15 जनवरी को रामचरितमानस की चौपाई पर सवाल खड़े किए थे.
28 फरवरी को रामचरितमानस के चौपाई को कचरा कहा था.
15 सितंबर को रामचरितमानस को पोटेशियम साइनाइड बताया था.
17 सितंबर को भगवान रामचंद्र जी शिक्षा मंत्री को सपने में आते हैं और उन्हें बचाने की गुहार लगाते हैं.
बयानबाजी के पीछे कोई रणनीति नहीं : RJD
राजद का अभी भी मानना है कि इसके पीछे कोई रणनीति नहीं है. राजद के विधायक भाई वीरेंद्र का मानना है कि वे लोग हर धर्म के लोगों का सम्मान करते हैं. भले ही उनके सहयोगी दल के नेता शिक्षा मंत्री के बयान से इत्तेफाक ना रखते हो, लेकिन राजद को इसमें भी बीजेपी की राजनीति ही नजर आती है. भाई वीरेंद्र का कहना है कि जब भी चुनाव नजदीक आता है तो यह लोग सनातन धर्म एवं धर्म की राजनीति करने लगते हैं. शिक्षा मंत्री के लगातार दे रहे विवादित बयान पर उन्होंने कहा कि पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उपमुख्यमंत्री कई बार उनको समझा चुके हैं कि इस तरीके का बयां ना दें, जिससे किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचे. लेकिन राजद के नेता यह नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर उनकी क्या मजबूरी है कि शिक्षा मंत्री पर आज तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो पा रही.
अनाप-शनाप बयान नहीं देना चाहिए: JDU
शिक्षा मंत्री के निशाने पर रामचरितमानस है. लगातार उनके आपत्तिजनक बयान से बिहार सरकार में उनके सहयोगी दल भी परेशान हैं. जदयू का मानना है कि गठबंधन की सरकार है उसमें किसी को भी अनाप-शनाप बयान नहीं देना चाहिए. शिक्षा मंत्री क्यों इस तरीके के का बयान दे रहे हैं यह वही बता सकते हैं, लेकिन उनके इस तरीके के बयान से गठबंधन की सरकार असहज हो जाती है. जदयू विधायक ललित नारायण मंडल का कहना है कि हर हिंदू के घर में रामचरितमानस रहता है और सभी सनातनी हिंदुओं की धार्मिक भावना रामचरित्र मानस से जुड़ी हुई है. यही कारण है कि जब भी शिक्षा मंत्री इस तरीके का बयान दिए हैं जदयू हो या वामपंथी दल या कांग्रेस सबों इसका विरोध किया. जदयू विधायक का मानना है कि शिक्षा मंत्री जिस तरीके से अनर्गल बयान दे रहे हैं उन पर अभिलंब कार्रवाई होनी चाहिए.
पार्टी की मजबूरी है या रणनीति?
सवाल यह इसलिए उठ रहा है कि इससे पहले भी राजद कोटे के मंत्री सुधाकर सिंह एवं कार्तिक सिंह पर आरोप लगा था तो तत्काल उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा था, लेकिन आखिर राजद की क्या मजबूरी है कि गठबंधन के अन्य घटक दल की मांग के बावजूद शिक्षा मंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. शिक्षा मंत्री के लगातार सनातन के ऊपर दिए जा रहे विवादित बयान से नीतीश कुमार सरकार के घटक दल भी और सहज हो चुके हैं. लगातार उनके सहयोगी दल शिक्षा मंत्री पर कार्रवाई की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन राजद अभी भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं. बीजेपी का रही है कि इसका खामियाजा आगामी चुनाव में विपक्षी दलों के गठबंधन को उठाना पड़ेगा. जेडीयू सहित अन्य विपक्षी दल यह जा रहे हैं कि बीजेपी के मन माफिक एजेंडे पर चलकर बीजेपी को हराना इतना आसान नहीं है. यही कारण है कि जदयू सहित अन्य घटक दल लगातार शिक्षा मंत्री पर कार्रवाई की मांग करते आ रहे हैं. अब देखना होगा कि राजद आला कमान शिक्षा मंत्री पर कार्रवाई करती है या राजनीति?
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