अब तक नहीं मिली फर्मों के भुगतान की डिटेल

बस्ती: जिले में लघु सिचाई विभाग की ओर से 2022-23 में उथली बोरिंग के नाम पर हुये घोटाले में डीएम की जांच रिपोर्ट कार्रवाई की संस्तुति के साथ शासन जाने के बाद भी विभाग के अफसर खेल कर गये. डीएम को संज्ञान में लाये बगैर ही सीडीओ से बारा सत्यापन का आदेश करा लिया.

इसके बाद तत्कालीन सीडीओ सौम्या पांडेय ने प्राथमिक जांच में बोरिंग न मिलने व तत्कालीन सहायक अभियंता के कोई जवाब न देने पर उनके खिलाफ चीफ इंजीनियर को पत्र लिखा था. इस मामले का संज्ञान लेकर तत्कालीन डीएम नेहा जैन ने एसडीएम के जरिये लेखपालों से सत्यापन कराया तो पैसा हड़पे जाने के बाद भी 68 फीसदी बोरिंग न मिलने पर 25 जून को अपर मुख्य सचिव को एफआईआर व कार्रवाई की संस्तुति भेजी थी. इसके बाद फिर से विभागीय कॉकस ने डीएम को संज्ञान में लाये बगैर नये सीडीओ से 25 जुलाई को फिर से सत्यापन का आदेश करा डाला. वहीं बारा सत्यापन का आदेश कराने के डेढ़ महीने बाद 11 सितंबर को विभाग ने 6 ब्लॉकों के लिये जनपद स्तरीय अधिकारी व सहायक अभियंता की टीम गठित की, लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी उन्हें सत्यापन के लिये लाभार्थियों की सूची नहीं सौंपी गई.
भुगतान लेने वाली फर्मों और धनराशि का पता नहीं
मार्च 2023 में ही फर्मों को बिना उथली बोरिंग के किसान की बोरिंग के लिये आने वाली धनराशि कितनी फर्मों को और कितनी राशि भेजी गई इसकी जानकारी अब तक विभाग के अफसरों को भी नहीं हो पा रही है. तत्कालीन सहायक अभियंता को आरोप पत्र देकर मुख्यालय संबंद्ध करने के बाद यहां अतिरिक्त प्रभार पर आईं जालौन की सहायक अभियंता से लेकर वर्तमान सहायक अभियंता को अब तक कितनी फर्मों को कितना पैसा गया, इसकी जानकारी नहीं लग सकी है. विभाग के इस रैकेट में बड़े अफसरों की भूमिका होने के कारण घोटाले की फाइल को इधर से उधर घुमाया जा रहा है.