आखिर कौन हैं वो, जिसे तलाश रही थी खरगें की आखें

नई दिल्ली | विपक्ष मणिपुर में हुई हिंसा के साथ-साथ नूंह में हुई हिंसा को भी मुद्दा बना रहा है. मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राष्ट्रपति से मिला. इस बैठक के बाद विपक्षी एकता को लेकर एक नई उलझन सामने आई. राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद जब विपक्षी नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे तो विपक्ष के एक दिग्गज नेता मौके से गायब थे. मल्लिकार्जुन खड़गे भी विपक्ष के इस बड़े चेहरे का इंतजार कर रहे थे. उम्मीद थी कि इस बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष का कोई बड़ा चेहरा पहुंचेगा. जब उम्मीद टूट गई तो खड़गे ने मीडिया से बात की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में खड़गे ने कहा, ‘हमने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा है. उन्हें वहां होने वाली घटनाओं, खासकर महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों से अवगत कराया गया. हम राष्ट्रपति का ध्यान आकर्षित करने के लिए मिले।’
क्या विपक्ष से अलग लाइन लेने की तैयारी में हैं पवार?
राष्ट्रपति भवन गए विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल में शरद पवार भी शामिल थे, लेकिन विपक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पवार नदारद रहे. सवाल ये है कि क्या शरद पवार ने जानबूझकर विपक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूरी बना ली. क्या मोदी सरकार के खिलाफ बोलने से बचना चाहते थे पवार? इन सवालों पर सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है. चर्चा इसलिए भी है क्योंकि दिल्ली में देखे गए पवार 24 घंटे पहले पुणे में थे. आज पवार विपक्षी खेमे में नजर आ रहे हैं. एक दिन पहले पवार पुणे में पीएम मोदी का सम्मान कर रहे थे. इस कार्यक्रम में पवार के शामिल होने पर विपक्षी खेमे में नाराजगी भी थी. लेकिन एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम का हवाला देकर पवार पीएम का सम्मान करने पहुंचे थे.
इससे पहले पवार ने विपक्ष से अलग सुर अख्तियार कर लिया
सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इससे पहले भी पवार विपक्ष से अलग सुर अपना चुके हैं. जब विपक्ष अडानी मुद्दे पर जेपीसी की मांग कर रहा था, तब शरद पवार ने जेपीसी की मांग को बेकार बताया था. पीएम की डिग्री पर उठ रहे सवालों के बीच पवार ने कहा था कि डिग्री कोई मुद्दा नहीं है. अक्टूबर 2018 में शरद पवार ने कहा था कि लोगों को राफेल विमान की खरीद में पीएम नरेंद्र मोदी की मंशा पर कोई संदेह नहीं है. पवार फिलहाल विपक्षी गठबंधन के साथ नजर आ रहे हैं लेकिन बीजेपी के साथ उनकी नफरत और प्रेम कहानी पुरानी है. भतीजे अजित पवार बीजेपी सरकार में डिप्टी सीएम बन गए हैं. वहीं, 2014 में एनसीपी ने महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार को बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया था. मार्च 2023 में, 7 NCP विधायकों ने नागालैंड में भाजपा गठबंधन को अपना समर्थन देने की घोषणा की। ये सब शरद पवार की सहमति से हुआ. तो आज विपक्षी खेमे में सवाल ये है कि आखिर शरद पवार की पहेली क्या है?
