प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रेलवे की विकासात्मक परियोजनाओं में रिकॉर्ड निवेश

इंद्रनील दत्त
असम। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने केंद्र सरकार के शत-प्रतिशत वित्तपोषण से रेल मंत्रालय की लगभग 32,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली सात परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की। इन मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं के प्रस्तावों से परिचालन में आसानी होगी और भीड़-भाड़ में कमी आएगी, जिससे भारतीय रेल के अति व्यस्त खंडों पर आवश्यक ढांचागत विकास संभव हो सकेगा। 9 राज्यों अर्थात उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 35 जिलों को कवर करने वाली इन परियोजनाओं से भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क में 2339 किलोमीटर की वृद्धि होगी। इसके अलावा राज्यों के लोगों को 7.06 करोड़ मानव दिवसों का रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।
दिल्ली – हावड़ा ग्रैंड कॉर्ड लाइन होकर पूर्वोत्तर की ओर आने-जाने वाली ट्रेनों के लिए गोरखपुर छावनी – वाल्मिकी नगर सेक्शन का दोहरीकरण एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में सेवा देगी। यह वैकल्पिक रेल लिंक यातायात की भीड़ को कम करने, पूर्वोत्तर की ओर कनेक्टिविटी में सुधार और पूर्वोत्तर की ओर अधिक से अधिक यात्री और मालगाड़ियों के परिचालन में मदद करेगी। गोरखपुर छावनी – वाल्मिकी नगर सेक्शन का दोहरीकरण 1269 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरा किया जाएगा। नेरगुंडी – बारंग और खुर्दा रोड – विजयनगरम सेक्शन में तीसरी लाइन बिछाने की एक अन्य परियोजना शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के उद्देश्य से दक्षिण भारत की ओर यात्रा करने वाले पूर्वोत्तर के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में सेवा प्रदान करेगी। इस सेक्शन में कोलकाता से चेन्नई तक काफी अधिक यातायात भीड़ है। इसलिए, इस सेक्शन में तीसरी लाइन बिछाने से यातायात की भीड़ कम होगी और ट्रेनों की आवाजाही बढ़ेगी। यह परियोजना करीब 5000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से पूरी होगी।
ये खाद्यान्न, उर्वरक, कोयला, सीमेंट, फ्लाई-ऐश, लोहा और तैयार इस्पात, क्लिंकर, कच्चा तेल, चूना पत्थर, खाद्य तेल आदि जैसी विभिन्न वस्तुओं की ढुलाई के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि संबंधी कार्यों के परिणामस्वरूप अतिरिक्त 200 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) माल की ढुलाई होगी। पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा दक्ष परिवहन का माध्यम होने के कारण, रेलवे जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने और देश की लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने में मदद करेगा। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र में मल्टी-टास्किंग कार्यबल बनाकर क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएंगी और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि करेंगी। ये परियोजनाएं मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो समेकित आयोजना से संभव हो सका है। इनकी बदौलत लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी उपलब्ध हो सकेगी।


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