Judiciary: केंद�?र-न�?यायपालिका के बीच टकराव के बीच न�?यायिक स�?वतंत�?रता की अहमियत

हाल में संविधान के अन�?च�?छेद 124 (2) और 217 (1) की व�?याख�?या को लेकर केंद�?र और न�?यायपालिका के बीच टकराव सामने आया है। अन�?च�?छेद 124 (2) इस बात पर प�?रकाश डालता है कि सर�?वोच�?च न�?यायालय के प�?रत�?येक न�?यायाधीश की निय�?क�?ति राष�?ट�?रपति द�?वारा सर�?वोच�?च न�?यायालय के �?से न�?यायाधीशों (खासकर प�?रधान न�?यायाधीश) और राज�?यों के उच�?च न�?यायालयों के परामर�?श के बाद की जा�?गी। इसी तरह उच�?च न�?यायालयों के लि�? अन�?च�?छेद 217 (1) इस बात पर प�?रकाश डालता है कि उच�?च न�?यायालय के प�?रत�?येक न�?यायाधीश को भारत के प�?रधान न�?यायाधीश, राज�?य के राज�?यपाल और उच�?च न�?यायालय के म�?ख�?य न�?यायाधीश के परामर�?श के बाद राष�?ट�?रपति द�?वारा निय�?क�?त किया जा�?गा।
�?सपी ग�?प�?ता बनाम भारत संघ (1981), स�?प�?रीम कोर�?ट �?डवोकेट�?स-ऑन रिकॉर�?ड �?सोसि�?शन बनाम भारत संघ (द�?वितीय न�?यायाधीश मामला) (1993) और अन�?च�?छेद 143 (1)… बनाम अज�?ञात (तीसरे न�?यायाधीशों की राय) (1998) में न�?यायिक व�?याख�?या ने न�?यायिक स�?वतंत�?रता के सिद�?धांत को और साफ किया तथा न�?यायाधीशों की सिफारिश के लि�? �?क कॉलेजियम प�?रणाली पर जोर दिया। वर�?तमान में केंद�?र कॉलेजियम प�?रणाली द�?वारा की गई सिफारिशों को स�?वीकार या अस�?वीकार कर सकता है, लेकिन यदि कोई सिफारिश दोहराई जाती है, तो सरकार उसे मानने के लि�? लि�? बाध�?य थी। पर हाल में यह आम सहमति गतिरोध में बदल गई। केंद�?र ने कॉलेजियम द�?वारा दोहराई गई सिफारिशें रोक दी है। विगत 22 नवंबर को स�?प�?रीम कोर�?ट ने दूसरे न�?यायाधीशों के मामले में तय समय सीमा का पालन न करने के लि�? सरकार की खिंचाई की। कानून और कार�?मिक संबंधी स�?थायी संसदीय समिति ने भी न�?याय विभाग के साथ अपनी असहमति उजागर की है कि रिक�?तियों को भरने का समय नहीं बताया जा सकता।
स�?वतंत�?र न�?यायपालिका और केंद�?र के बीच इस �?तिहासिक टकराव का असर न�?यायिक प�?रणाली में गिरावट के रूप में सामने है। अगस�?त, 2022 में सर�?वोच�?च न�?यायालय में 34 में से लगभग तीन और उच�?च न�?यायालयों में न�?यायाधीशों की 1,108 में से करीब 381 रिक�?तियां थीं। जबकि निचली अदालतों में 24,631 में से लगभग 5,342 सीटें खाली थीं। बहाली टलने से खासकर बॉम�?बे, पंजाब और हरियाणा, कलकत�?ता, पटना और राजस�?थान उच�?च न�?यायालयों की न�?यायिक दक�?षता पर प�?रभाव पड़ना तय है। इन अदालतों में अगस�?त, 2022 तक करीब चार करोड़ मामले लंबित थे। राजनीतिक संस�?थानों द�?वारा न�?यायाधीशों की निय�?क�?ति च�?नींदा देशों में होती है। जैसे, इटली में सांविधानिक न�?यायालय में निय�?क�?तियां राष�?ट�?रपति, विधायिका और सर�?वोच�?च न�?यायालय द�?वारा की जाती हैं। वहां प�?रत�?येक इकाई को पांच न�?यायाधीश नामित करने की अन�?मति है। अमेरिका में सर�?वोच�?च न�?यायालय के न�?यायाधीशों को राष�?ट�?रपति द�?वारा (जीवन भर के लि�?) नामित किया जाता है और फिर बह�?मत से सीनेट द�?वारा अन�?मोदित किया जाता है। जर�?मनी के सांविधानिक न�?यायालय में निय�?क�?तियां संसद द�?वारा की जाती है। स�?वाभाविक रूप से यह �?क पक�?षपातपूर�?ण न�?यायपालिका को जन�?म दे सकता है।
अन�?य देशों ने न�?यायिक परिषदों के साथ प�?रयोग किया है, जिसमें अक�?सर मौजूदा न�?यायाधीश, न�?याय मंत�?रालय के प�?रतिनिधि, बार �?सोसि�?शन के सदस�?य और आम नागरिक आदि शामिल होते हैं। इराक में सभी न�?यायाधीश �?क न�?यायिक संस�?थान के स�?नातक हैं। वहां सभी आवेदकों को न�?यायाधीशों के �?क पैनल के साक�?षात�?कार के साथ लिखित और मौखिक परीक�?षा से ग�?जरना पड़ता है। अमेरिका में राज�?य के राज�?यपाल योग�?यता आयोग द�?वारा प�?रदान की गई सिफारिशों के आधार पर राज�?य न�?यायाधीशों की निय�?क�?ति करते हैं। जापान में सर�?वोच�?च न�?यायालय का सचिवालय निचले स�?तर की न�?यायिक निय�?क�?तियों के साथ उनके प�?रशिक�?षण और पदोन�?नति को नियंत�?रित करता है। ब�?रिटेन भी �?सी व�?यवस�?था से न�?यायिक आयोग की ओर बढ़ च�?का है।
अपने यहां हाल ही में, केंद�?र ने न�?यायिक निय�?क�?तियों को न�?यायिक आयोग (राष�?ट�?रीय न�?यायिक निय�?क�?ति आयोग विधेयक, 2014) के माध�?यम से संचालित करने पर जोर दिया है। जबकि सर�?वोच�?च न�?यायालय ने 16 अक�?टूबर, 2015 को �?नजे�?सी अधिनियम (2014) को 4 : 1 के बह�?मत से रद�?द कर दिया था। इस बात पर बहस की पूरी ग�?ंजाइश है कि क�?या न�?यायाधीशों की निय�?क�?ति के लि�? �?क सशक�?त सचिवालय की आवश�?यकता है। सचिवालय में वर�?तमान न�?यायाधीश, बार �?सोसि�?शन के सदस�?य, कानून मंत�?रालय के प�?रतिनिधि तथा आम आदमी हो सकते हैं और न�?यायपालिका में समाज के लोगों को ज�?यादा प�?रतिनिधित�?व के लि�? जोर देना चाहि�?।
न�?यायिक निय�?क�?तियों से परे अपील की �?क नई अदालत होने की स�?पष�?ट आवश�?यकता है (वी वसंतक�?मार की पीआई�?ल देखें)। उच�?च न�?यायालयों के आदेशों के खिलाफ अपील के लि�? �?क नियमित अदालत के रूप में सर�?वोच�?च न�?यायालय को देखने का इरादा कभी नहीं था (बिहार लीगल सोसाइटी बनाम भारत के प�?रधान न�?यायाधीश, 1986)। यहां तक कहा गया है कि सर�?वोच�?च न�?यायालय को जमानत याचिकाओं पर स�?नवाई नहीं करनी चाहि�?। इसके बजाय, जैसा कि विधि आयोग ने सिफारिश की है, हमें प�?रम�?ख महानगरों में शाखाओं के साथ �?क संघीय अपील न�?यायालय की दरकार है। इस बीच, �?क सांविधानिक संशोधन के जरिये सर�?वोच�?च न�?यायालय को �?क सांविधानिक न�?यायालय के रूप में तब�?दील कर दिया जाना चाहि�?। �?सा करने का मतलब होगा कि उच�?चतम स�?तर पर कम मामले लंबित रखे जा�?ंगे। इसके अतिरिक�?त, हमें स�?प�?रीम या हाई कोर�?ट के सभी न�?यायाधीशों के लि�? �?क परिभाषित सेवानिवृत�?ति की आय�? तय करनी चाहि�? तथा सरकार में भूमिकाओं के लि�? नामित होने के लि�? न�?यायाधीशों के लि�? �?क अनिवार�?य कूलिंग ऑफ अवधि भी होनी चाहि�?।
भारतीय लोकतंत�?र की सेहत के लि�? न�?यायिक स�?वतंत�?रता की अहमियत बनी ह�?ई है। न�?यायिक स�?वतंत�?रता के लि�? न�?यायाधीशों की निय�?क�?ति की �?क विश�?वसनीय और निष�?पक�?ष प�?रणाली जरूरी है। किसी भी निय�?क�?ति की न�?यायिक जवाबदेही स�?निश�?चित होनी चाहि�?। साथ ही, �?क �?सी न�?यायपालिका को बढ़ावा देना चाहि�?, जो व�?यक�?तिगत और प�?रणालीगत स�?तर पर सरकार की अन�?य शाखाओं से स�?वतंत�?र हो। �?सी न�?यायिक प�?रणाली को राजनीतिक विचारधारा और जनता के दबाव से और इसके भीतर के पदान�?क�?रम से भी म�?क�?त होना चाहि�?। इस बात पर पहले से तार�?किक सहमति रही है कि हमें �?क खास �?�?काव वाली न�?यायपालिका से बचना चाहि�?।

   सोर�?स: अमर उजाला 


R.O. No.12702/2
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