पुलिस के साथ झड़प के दौरान ट्रैक्टर-ट्रॉली से कुचलकर एक व्यक्ति की मौत

पंजाब: कुछ किसान नेताओं को ‘हिरासत’ में लिये जाने को लेकर संगरूर जिले में सोमवार को किसानों के साथ हुई झड़प में ट्रैक्टर-ट्रॉली से कुचलकर एक व्यक्ति की मौत हो गई और कम से कम पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मरने वाला व्यक्ति एक किसान था, जो जिले के लोंगोवाल इलाके में विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहा था, जहां पुलिस प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजमार्ग और एक टोल प्लाजा को अवरुद्ध करने से रोकने की कोशिश कर रही थी। किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी), बीकेयू (एकता आजाद), आजाद किसान समिति, दोआबा, बीकेयू (बेहरामके) और भूमि बचाओ मुहिम सहित सोलह किसान संगठनों ने मंगलवार को चंडीगढ़ में प्रदर्शन करने की योजना बनाई है, जिससे एक दिन पहले किसान प्रदर्शन कर रहे थे।
संगरूर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सुरेंद्र लांबा ने बताया कि किसान यूनियन के सदस्य संगरूर-बरनाला राष्ट्रीय राजमार्ग और बदबार टोल प्लाजा को अवरुद्ध करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। लांबा ने कहा कि ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बसों पर सवार प्रदर्शनकारी किसान पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधकों को जबरन पार कर गये। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने अपने ट्रैक्टरों को बैरिकेड में घुसा दिया। पुलिस ने बताया कि एक पुलिस निरीक्षक ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे कुचले जाने से बच गये, लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हो गये, एक अन्य पुलिसकर्मी के चेहरे पर चोट आई और तीन अन्य को भी चोटें आईं। अधिकारियों ने बताया कि प्रीतम सिंह नाम का एक किसान प्रदर्शनकारियों में से एक की ट्रैक्टर-ट्रॉली के नीचे आ गया और उसे गंभीर चोटें आईं।
उन्होंने बताया कि बाद में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। बुजुर्ग किसान के ट्रॉली के पिछले टायर के नीचे आने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। वीडियो में कुछ किसानों को वाहन चालक से रुकने के लिए कहते देखा गया, लेकिन वह नहीं रुका। पुलिस ने कहा कि यह घटना विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ ट्रैक्टर और बस चालकों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण हुई। एसएसपी ने कहा कि विरोध हिंसक होने पर कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर लाठियों से हमला किया। उन्होंने कहा कि स्थिति अब शांतिपूर्ण है और पुलिस ने उच्चतम स्तर का संयम बरता। इससे पहले दिन की शुरुआत में, किसानों ने दावा किया कि किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के अध्यक्ष सरवन सिंह पंढेर, केएमएससी के सत्कार सिंह कोटली, बीकेयू (बेहरामके) के बोहर सिंह सहित उनके कई नेताओं को पंजाब पुलिस ने ‘‘हिरासत में’’ ले लिया। तरनतारन जिले के एक किसान नेता ने कहा कि पुलिस ने कथित तौर पर किसान नेताओं के आवासों पर छापेमारी की और उन्हें हिरासत में लिया।
किसानों ने कहा था कि वे चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में परेड ग्राउंड पर विरोध प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन चाहता था कि वे सेक्टर 25 में एक निर्दिष्ट स्थान पर प्रदर्शन करें। शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने संगरूर में किसान की मौत के लिए आप सरकार की आलोचना की। सुखबीर ने एक्स पर लिखा, ‘‘लोंगोवाल (मुख्यमंत्री के गृह जिले संगरूर में) में संकटग्रस्त और शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसान प्रीतम सिंह की दिनदहाड़े भयावह हत्या से पूरा राज्य में शोक की लहर है, खासकर किसान सदमे में हैं।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि यह उनके आदेश पर किया गया था। जिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इसे अंजाम दिया, उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।’’ पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा की।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके कहा, ‘‘पंजाब में आप सरकार ने अपने कठोर एजेंडे को उजागर कर दिया है। विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं को गिरफ्तार किया गया है और कुछ अन्य किसान नेताओं की गिरफ्तारी के लिए अब भी छापेमारी चल रही है। इस बीच, हरियाणा के किसान नेताओं ने भी दावा किया कि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) से जुड़े कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा पुलिस ने बीकेयू नेता अमरजीत सिंह मोहरी और कुछ अन्य लोगों को अंबाला में हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि संदीप सिंह को कुरुक्षेत्र में हिरासत में लिया गया है। अंबाला पुलिस ने क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरियाणा-पंजाब सीमा पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। बाजवा ने एक्स पर लिखा, ‘‘बाढ़ प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर किसान 22 अगस्त को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। तथाकथित ‘बदलाव’ सरकार ने किसानों की जायज मांगों को पूरा करने के बजाय इस तरह का कठोर रुख अपनाया है। किसानों को राहत देने के बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का झूठ उजागर हो गया है।


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