बाघिन व भालू को सरिस्का लाने में करना पड़ेगा इंतजार, अजबगढ़ रेंज में बाघिन लाना जरूरी

अलवर। अलवर सरिस्का टाइगर रिजर्व में पर्यटकों की चहलपहल शुरू होने में करीब 27 दिन बचे हैं, लेकिन टाइगर रिजर्व रणथंभौर से बाघिन एवं माउंट आबू से एक भालू को लाने के लिए कुछ दिन इंतजार करना पड़ेगा। कारण है कि बारिश के चलते इन दिनों जंगल में घास व पेड़ पौधे बड़े हो चुके हैं, जिससे बाघिन व भालू को ट्रेस करना आसान नहीं है। सरिस्का टाइगर रिजर्व में अभी एक बाघिन का अजबगढ़ रेेंज में पुनर्वास कराया जाना है। यह बाघिन रणथंभौर से आनी है। सरिस्का लाई जाने वाली बाघिन को वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने चिह्नित कर लिया है, लेकिन उसकी शिफ्टिंग का प्लान अभी ठंडे बस्ते हैं। इसी प्रकारण एक भालू की शिफ्टिंग भी सरिस्का के जंगल में होनी है, लेकिन वहां अभी इसी तरह की समस्या है।
एनटीसीए पहले ही दे चुका अनुमति: सरिस्का में बाघिन व भालू की शिफ्टिंग की राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण पहले ही अनुमति दे चुका है। पिछले महीनों सरिस्का में टाइगर व भालुओं की रणथंभौर से शिफ्टिंग कराई गई थी। बाद में कुछ समय शिफ्टिंग को लंबित किया गया था। अब मानसून खत्म होने के बाद बाघिन एवं भालू की शिफ्टिंग कराई जाएगी। अजबगढ़ रेंज में एक बाघिन की शिफ्टिंग जरूरी है। अजबगढ़ रेंज सरिस्का की छठवीं रेंज है, लेकिन इसकी प्रशासनिक जिम्मेदारी जयपुर वन विभाग के पास है। सरिस्का से सटी होने के कारण बाघों का वहां आना- जाना रहता है। पूर्व में बाघ एसटी-14 समेत अन्य टाइगर वहां काफी दिनों तक रह चुके हैं, लेकिन बाघिन के अभाव में बाघों का वहां स्थाई ठहराव नहीं हो पाता। यही कारण है कि सरिस्का का बाघ एसटी-14 पिछले कई महीनों अजबगढ़ रेंज में घूमने के बाद रामगढ़ जयपुर रेंज की ओर चला गया, जो करीब डेढ़ साल बाद भी नहीं लौटा है। इसके अलावा बाघिन व भालू आने से सरिस्का के प्रति पर्यटकों में आकर्षण और भी बढ़ सकेगा।
