हिमाचल में पहली बार FDR तकनीक से बनेंगी 666 किलोमीटर सड़कें

शिमला। हिमाचल प्रदेश में पहली बार सड़कों का निर्माण फुल डैप्थ रैक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक पर किया जाएगा। उत्तर प्रदेश, बिहार व असम के बाद हिमाचल प्रदेश एफडीआर तकनीक का इस्तेमाल कर सड़क निर्माण करने वाला देश का चौथा राज्य बनने जा रहा है। प्रथम चरण में इस तकनीक का उपयोग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई जा रहीं सड़कों में किया जाएगा। इसके तहत पहले विभिन्न जिलों में योजना के तहत बन रहीं 666 किलोमीटर सड़कों में इस तकनीक का उपयोग किया जाएगा। उसके बाद अन्य सड़कों पर इसका उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक में सड़क की सतह से सामग्री का उपयोग कर इसमें सीमैंट और एडिटिव को मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है, जिससे सड़कों का निर्माण किया जाता है। विशेषज्ञों का दावा है कि इस तकनीक से सड़कें ज्यादा टिकाऊ बनती हैं और वाहनों के लिए भी ये सड़कें बेहतर हैं। इसकी लागत भी कम है और यह तकनीक पारिस्थितिकी के अनुकूल (ईको फ्रैंडली) भी है।

शिमला में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए सड़क संपर्क को मजबूत करने पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत प्रदेश में सड़कें लोगों की जीवन रेखा कही जाती हैं। उन्होंने लोक निर्माण विभाग को सड़क निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने तथा इन सड़कों का निर्माण कार्य समयबद्ध पूरा करने के भी निर्देश दिए ताकि लोगों को सड़क सुविधा का लाभ समय पर मिल सके। इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग भरत खड़ा व प्रमुख अभियंता अजय कुमार गुप्ता सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। हिमाचल में पीएमजीएसवाई के तहत करीब 2682 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें से 666 किलोमीटर सड़कें एफडीआर तकनीक, 556 किलोमीटर सड़कें सीमैंट स्टैबलाइजेशन तथा 1460 किलोमीटर सड़कों का निर्माण परंपरागत तरीके से किया जाएगा। इन पर लगभग 2683 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे।