झारखंड : बदहाल शिक्षा व्यवस्था, विद्यालय की जमीन पर भू-माफियाओं का राज

लातेहार में बदहाल शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी खबर पहले भी हम प्रकाशित कर चुके हैं. वहीं, लातेहार में एक ऐसा विद्यालय है जिसकी जमीन पर भू-माफिया लगातार अतिक्रमण कर रहे हैं. जिससे उस स्कूल में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है. सरकार शिक्षा विभाग में सुधार के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन छात्रों के भविष्य का रोड़ा अगर भू-माफिया बनने लग जाए, तो सरकार की परेशानी थोड़ी बढ़ जाती है. सबसे अहम बात तो यह है कि प्रशासनिक गठजोड़ की वजह से ऐसे भू-माफियों पर महज खानापूर्ति के आलावा कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है. जिससे ऐसे लोगों का मनोबल लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
बदहाल शिक्षा व्यवस्था
दरअसल, ऐसा ही एक मामला लातेहार जिले के हेरहंज प्रखंड से सामने आया है. यहां उमवि नवादा और उससे सटे सरकारी गैरमजरूआ जमीन पर कई लोगों ने अवैध रूप से जबरन कब्जा कर लिया है. इतना ही नहीं बल्कि कब्जे वाले जमीन पर मकान और दुकान भी बना दिया है. इससे इस स्कूल में पढ़ने वाले छात्र के साथ-साथ यहां के शिक्षक भी विगत कई वर्षों से ध्वनि प्रदूषण के शिकार हो रहे हैं. बावजूद इन तमाम परेशानियों से ना तो विभाग के पदाधिकारियों और ना ही नेताओं का कोई वास्ता है.
विद्यालय की जमीन पर अतिक्रमण
विद्यालय के शिक्षक शंखनाथ पांडेय ने बताया कि विद्यालय की 50 डिसमिल और उसके चारों तरफ सरकारी गैरमजरूआ जमीन है. जिसपर अतिक्रमण कर कई लोगों ने उस पर मकान और दुकान बना लिया है. विद्यालय के शिक्षक शंखनाद पांडेय ने आरोप लगाया है कि इसी विद्यालय के पूर्व प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और वर्तमान उप प्रमुख विजय उरांव के द्वारा विद्यालय की जमीन पर अतिक्रमण किया जा रहा है. जिससे स्कूल के कमरों तक रोशनी भी नहीं पहुंच पा रही है. परेशानी का आलम यह है कि अगर बिजली चली जाए तो स्कूल के कमरे पूरी तरह अंधकारमय हो जाते हैं. अतिक्रमण की वजह से विद्यालय की खिड़की पूरी तरह बंद है. जिसके कारण रोशनी के साथ-साथ बिजली नहीं रहने पर छात्र और शिक्षक गर्मी से भी बेहाल हो जाते हैं.
ऐसे कैसे पढ़ेंगे बच्चे?
वहीं, विद्यालय भवन के आस-पास एक मकान में वेल्डिंग दुकान और दूसरी तरफ आटा चक्की संचालित की जा रही है. जिसके ध्वनि का असर विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के पढ़ाई पर पड़ रहा है. दोनों तरफ से मशीन शुरू होने पर बच्चों को पढ़ना और शिक्षकों के लिए पढ़ाना दोनों ही परेशानी का सबब बन जाता है. विद्यालय की जमीन पर अतिक्रमण होने की वजह से इस स्कूल में अध्ययनरत छात्रों का शारिरिक और मानसिक विकास भी नहीं हो पा रहा है.
