सरकारी अस्पताल में डॉक्टर मोबाइल टॉर्च की रोशनी में कर रहे इलाज, विपक्ष हमलावर

अमरावती: आंध्र प्रदेश के पार्वतीपुरम मान्यम जिले के एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टर मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इसकी तस्वीर भी सामने आई है जो राज्य में बिजली कटौती को उजागर कर रही है। शनिवार को एक सड़क दुर्घटना के बाद आठ घायलों को कुरुपम स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। बिजली गुल होने के कारण मेडिकल स्टाफ को मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में घायलों का इलाज करना पड़ा। कई अन्य सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की तरह पीएचसी में भी पावर बैकअप का अभाव है।
इस घटना के बाद टीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने बिजली की कटौती को लेकर जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला बोला। एन चंद्रबाबू नायडू ने अपने एक्स अकाउंट के मध्यम से कहा, ”कुरुपम में सामने आ रहे दृश्यों से भयभीत हूं, जहां डॉक्टरों को बिजली गुल होने के दौरान फ्लैशलाइट के नीचे एक मरीज का इलाज करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बिजली कटौती से आंध्र प्रदेश में घरों, कृषि और उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारी परेशानी हो रही है।”
विपक्ष के नेता ने कहा कि लगातार बिजली कटौती के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। जगन स्थिर और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति प्रदान करने में विफल रहे हैं। यह देखना दुखद है कि जो राज्य में कभी बिजली की अधिकता का आनंद लेता था, वह अब अंधेरे और बार-बार बिजली गुल होने में डूबा हुआ है। कुरुपम की यह कोई अकेली घटना नहीं है। इसी तरह का दृश्य उसी जिले के सलूर शहर के एरिया अस्पताल में देखा गया था। शनिवार को आई आंधी के बाद क्षेत्र में बिजली कटौती के कारण अस्पताल अंधेरे में डूब गया।
ब्लैकआउट से मरीजों को काफी परेशानी हुई। चिकित्सा कर्मचारियों को अपने मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में मरीजों को आपातकालीन उपचार प्रदान करना पड़ा। राज्य के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से अनिर्धारित बिजली कटौती है। अधिकारी इसका कारण लंबे सूखे के कारण बढ़ी बिजली की मांग को मानते हैं। दो दिन पहले एक समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को अवगत कराया था कि कम बारिश के कारण बिजली की मांग पिछले साल की तुलना में 18 प्रतिशत बढ़ गई है। गर्मी के दौरान प्रदेश में बिजली संकट छाया रहा। घरेलू से लेकर कृषि और उद्योग तक, हर क्षेत्र को मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर के कारण बिजली कटौती का सामना करना पड़ा।
मानसून में देरी और जुलाई-अगस्त में लंबे समय तक शुष्क रहने के कारण स्थिति गंभीर हो गई। मुख्यमंत्री ने कहा था कि सरकार बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए 7.52 रुपये प्रति यूनिट की ऊंची कीमत पर बिजली खरीदने के लिए पैसा खर्च कर रही है। मार्च से अगस्त के बीच 2,935 करोड़ रुपये खर्च कर रोजाना 44.25 मिलियन यूनिट्स खरीदी गईं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बिजली खरीद पर मार्च में 501 करोड़, अप्रैल में 493 करोड़, मई में 430 करोड़, जून में 346 करोड़, जुलाई में 198 करोड़ और अगस्त में 966 करोड़ रुपये खर्च किए।


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