संवेदनशीलता खत्म हो रही…

ज़ाकिर घुरसेना

संवेदनशीलता इंसान के लिए आभूषण की तरह है। जिस इंसान में संवेदनशीलता है वह आभूषणों से लक दक सजा संवरा नज़र आता है। वर्तमान दौर में इन सब बातो से किसी को कोई लेना देना नहीं है ऐसा प्रतीत होता है। राजधानी रायपुर से लगे खरोरा क्षेत्र के युवक ने फोन कर बताया मैंने उसको बहुत मारा है और सुबह उस शख्स की लाश पेड़ से लटकी हुई मिली जबकि दोनों दोस्त थे ऐसी क्या वजह हो गई की अपने दोस्त का गला घोटने मजबूर हुआ। नशा या और कुछ ? नशा के वजह से लोग लोकलाज का भय तक नहीं है आपसी संबंधो को भी ताक में रख रहे हैं। छोटी छोटी बातों पर लोग एक दूसरे की जान लेने में भी नहीं हिचक रहे हैं। इसी प्रकार की एक घटना उत्तरप्रदेश के मेरठ में हुई जहां ग्राम प्रधान (ठेकेदार) ने एक राज मिस्त्री को सिर्फ मजदूरी मांगने पर यातना देकर मौत के नींद सुला दिया। मारने के पहले उसके पैरों में कीलें भी ठोक देने की जानकारी है। पैरों में कीलें ठोकने के बाद गोली भी मारी गई और उसके शव को पेड़ से लटका दिया।
अंत में हद तो तब हो जाती है जब ठेकेदार दबंग ग्राम प्रधान ने खुद पुलिस को फोन करके बताया की मैंने उसे मार दिया है लाश ले जाओ। जिस प्रकार से यातना देकर मारा गया पत्थर दिल इंसान भी पिघल जाये लेकिन ग्राम प्रधान का दिल नहीं पिघला। ग्राम प्रधान होने का मतलब किसी न किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े होने की तस्दीक करती है। कहीं राजनीतिक रसूख और दबंगई के वजह से तो नहीं उस मजदूर की बेरहमी से क़त्ल कर दी गई। बहरहाल यह संवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। संवेदनशीलता को तार-तार करने वाली यह घटना तथाकथित प्रगतिशील और शिक्षित समाज को आईना दिखाती है। बेशक देश में ऐसे मामले रोजाना सामने आते रहते हैं लेकिन एक नहीं रोजाना दर्जनों मामले सामने आना निश्चित रूप से संवेदना के दम तोड़ने को तसदीक कर रही है। एक तरफ तो इंसान इंसान में अंतर न करने की बात होती है और दूसरी तरफ हकीकत में कुछ और ही नज़र आता है। जब सच सामने आता है तो अंदर संवेदनहीनता ही नज़र आता है। मन में भेदभाव, ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पाति, के जो बीज बो दिए गए हैं, वही वर्षो बाद आदमी से ऐसा शर्मनाक कृत्य करवाते हैं। इसलिए जरूरत है अच्छे संस्कारों की, क्योंकि भविष्य इन्हीं पर निर्भर करता है। पूर्वजों की भेदभाव वाली सोच को तिलांजलि देकर ही इन सब कृत्यों से बचा जा सकता है और बदलाव लाया जा सकता है। तमाम उपायों के बावजूद भी लोग इस बात को तवज्जो नहीं देते और घिनौना कृत्य कर बैठते हैं। प्रदेश की सरकार या फिर केंद्र की सरकार पुलिसिंग को ऐसा चुस्त दुरुस्त रखे ताकि अपराधियों के हौसले पस्त हों।