अतिक्रमण पनप रहा, वन विभाग की हो रही किरकिरी

बैकुण्ठपुर। कोरिया जिले में वन भूमि में अतिक्रमण को लेकर वन विभाग की लगातार किरकिरी होती रही है। कार्यवाही के नाम पर गांव के किनारे छोर से अतिक्रमण हटा कर वन विभाग वाह वाही भी लूट अपने उच्य अधिकारियो से पीठ भी थप थाप्वा लेता है। पर क्या सही मायनों में वन भूमि से अतिक्रमण हटाने में विभाग खरा उतरा है इस खबर को पढ़ समझ कर आप खुद जवाब तलास लेंगे।

कोरिया वन मंड़ल के बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत बैकुंठपुर से सोनहत पहुच मार्ग घाट समाप्ति या यूं कहें पहाड़पारा के पास वन भूमि में सालों पूर्व एक कच्चे का केवल घर था आज देखिए कई झोपड़ी यहाँ तक कि लगभग वीराने में झोपड़ी में गुटका,सिगरेट,चिप्स की दुकान लेकर अतिक्रमणकारी बैठ गए है। इतना ही नही झोपड़ी बनाने में मोटी मोटी बल्लियों का उपयोग किया गया है। फिर वन विभाग के आला अधिकारी इस सड़क मार्ग से आंनदपुर नर्सरी,सोनहत, देवगढ़ वन परिक्षेत्र का निरीक्षण करने भी जाते है पर लगता है साहब की नजर निर्माण कार्यो से हटती नही तभी तो सड़क किनारे हो रहे अतिक्रमण दिखाई नही दे रहा है और वन भूमि का सत्यानास कर मानव जंगल की ओर जंगल की जमीन में बसता जा रहा है।
जमीन की लालसा
आज मुख्य मार्गो से लेकर साइड तक कि जमीनो की कीमत आसमान में है । किसी भी आम आदमी के लिए खरीदने और बसने में आधी उम्र खट जा रही है। ऐसे में जमीन की लालसा में लोग जंगल को रहवासी इलाको में तब्दील करते जा रहे वही जल जमीन जंगल की रक्षा में संबंधित तैनात विभाग को लोग अपने कर्तव्यों से भटकते जा रहे है। जंगल की जमीन बड़े से क्षेत्र को अतिक्रमण किया जा रहा पर विभाग मौन है। जो समझ से परे है।
मिडिया में खबर आती है तो सायद अपनी छवि को साफ सुथरा दिखाने की चाह में विभाग के जिम्मेदार अतिक्रमण के खिलाफ ऐसे खड़े हो कर दल बल के साँथ अतिक्रमण हटवाते है जैसे मानो विभाग अब वन भूमि को बचाने सवगन्ध खा कर निकला है और ऐसे कमजोर वर्ग को टारगेट करता है जिसकी कही पहुच न हो समझ नही आता की विभाग मुह देखी काम क्यो करता है दबंग जम कर अवैध वृक्षो की कटाई,वन भूमि को कृषि योग्य भूमि बना कर कई वर्षों से टिक जा रहे है लेकिन विभाग उसके सामने नदमस्तक है।
मुख्य सड़क और अन्यत्र विभाग के जिम्मेदार कर्मचारी अधिकारी वन भूमि में अवैध अतिक्रमण देखते है मीडिया या गांव के लोग शिकायत भी करते है पर जिम्मेदार की जिम्मेदारी तो देखिए कान में एक जु तक नही रेंगती मीडिया का काम है लिखना ग्रामीणों का काम है चिल्लाना थोड़ा दिन लिखेंगे चिल्लायेंगे चुप हो जाएंगे ऐसी अकड़ का मानो विभाग रवैया अपना लिया हो । तभी तो अतिक्रमण पनप रहा है।