घमंडिया गठबंधन नेता तय नहीं कर पाए लेकिन सनातन धर्म के अपमान की नीति तय कर ली: धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सनातन धर्म पर दिए जा रहे विवादास्पद बयानों पर कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दलों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुंबई की बैठक में घमंडिया गठबंधन के दल संयोजक तय नहीं कर पाए, नेता तय नहीं कर पाए लेकिन उन्होंने अपनी नीति तय कर ली और उनकी नीति है – सनातन धर्म का अपमान करना। इसलिए कभी उदयनिधि स्टालिन, कभी कार्ति चिदंबरम, कभी प्रियंक खड़गे ( मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे ), कभी नीतीश कुमार के शिक्षा मंत्री, कभी अखिलेश यादव के प्रमुख नेता स्वामी प्रसाद मौर्य, कभी अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे गौतम, एक योजना के तहत अलग-अलग समय में इस काम पर लग गए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि घमंडिया गठबंधन के नेताओं में भारत की सभ्यता को, मूल आस्था को, सनातन धर्म को, हिंदू धर्म को गाली देने, कोसने और अपमानित करने की एक प्रतियोगिता सी शुरू हो गई है। प्रधान ने आरोप लगाया कि सनातनी धर्म की एकता के कारण इन वंशवादी राजकुमारों के समूह में डर पैदा हो गया है और मोहब्बत की दुकान चलाने की बात कहने वाले लोग नफरत की पुड़िया लेकर घूम रहे हैं।
भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के प्रमुख नेता केसी वेणुगोपाल ने सारी हदों को पार करते हुए यह बयान दिया है कि कांग्रेस पार्टी सर्व धर्म समभाव पर विश्वास करती है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सम्मान देती है तो वे पूछना चाहते हैं कि क्या सनातन को और हिंदू धर्म को गाली देना कांग्रेस पार्टी और घमंडिया गठबंधन की नीति बनी हुई है ? क्या हिंदुत्व को गाली देना और भारत के बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को आहत करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है ?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में जन्म हुए सभी पंथ-सम्प्रदाय, सभी उपासना पद्धित, सभी मत सनातन के अंश हैं। उन्होंने कांग्रेस से अपना स्टैंड स्पष्ट करने की मांग करते हुए कहा कि कांग्रेस इसका खंडन करने की बजाय इस बयान का महिमामंडन कर रही है। उन्होंने इससे पहले उदयनिधि के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि तीन दिन पहले यह घटना हुई। यह घटना अनायास नहीं थी या अचानक नहीं बोला गया था बल्कि उदयनिधि ने एक कार्यक्रम में यह बोला था।
उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले इसी तरह से भगवा आतंकवाद का शब्द लाया गया था क्योंकि उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक चुकी थी, इसलिए समाज में तनाव बढ़ाने के लिए और विद्वेष फैलाने के लिए जानबूझकर एक नैरेटिव सेट किया गया था। जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी स्पष्टता के साथ कहा है कि कोई भी नेता समाज में तनाव पैदा करने वाला कोई भी काम न करे।
प्रधान ने आरोप लगाया कि विदेशी धरती पर जाकर हिंदू धर्म के खिलाफ बयान दिया गया और देश में उसे अमलीजामा पहनाने की कोशिश की जा रही है। राहुल गांधी को नफरत की दुकान चलाने वाला बताते हुए प्रधान ने आगे कहा कि मोहब्बत की दुकान चलाने की बात कहने वाले लोग नफरत की दुकान चला रहे हैं और अंग्रेजों से उन्होंने जो फुट डालो और राज करो का गुण लिया था वह अभी भी उनके अंदर बचा हुआ है।
आज जब पूरा देश एकजुट होकर विकास के रास्ते पर चल रहा है तो इन वंशवादी लोगों को हजम नहीं हो रहा है। मंदिर जाने वाले, तिलक लगाने वाले, जनेऊ पहनने वाले राहुल गांधी चुप हैं और भाजपा ने तो पहले ही कहा था कि ये इनका नाटक है और अब जैसे-जैसे चुनाव आ रहा है इनका नाटक स्पष्ट तौर पर सामने आ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि राहुल गांधी चुप क्यों हैं तीन दिन हो गए, भारत की अस्मिता, भारत की मूल विचारधारा , भारतीयता पर आक्रमण हो रहा है ?
तमिलनाडु की डीएमके सरकार पर निशाना साधते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि काशी तमिल संगमम के बाद से डीएमके भी डरी हुई है क्योंकि उन्हें यह अनुभव हो गया है कि तमिलनाडु के सर्वसमाज की श्रद्धा काशी विश्वनाथ से जुड़ी हुई है। प्रधान ने राहुल गांधी के साथ-साथ अरविंद केजरीवाल, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव और शरद पवार सहित अन्य विपक्षी नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा और नरेंद्र मोदी के विरोध को समझा जा सकता है लेकिन राजनीति इतनी ओछी नहीं होनी चाहिए।


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