दिवाली पर दीपक जलाने की आखिर क्या है कहानी

दीपक जलाने का महत्व: दिवाली का त्योहार रोशनी का त्योहार है। अधाकर पर प्रकाश की जीत का जश्न। सत्य की जीत का पर्व. इस त्यौहार को हिंदू संस्कृति का सबसे बड़ा त्यौहार कहा जाता है। हिंदू धर्म में दिवाली को सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार का लोग पूरे साल इंतजार करते हैं। दिवाली कार्तक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस बार यह 13 नवंबर को मनाया जाएगा. इस त्योहार को मनाने के लिए लोग नए दीये खरीदने से लेकर रंगोली बनाने, तरह-तरह के पकवान बनाने आदि की तैयारियां पहले से ही शुरू कर देते हैं। दिवाली के दीये और पटाखे फोड़ने से घर जगमगा उठता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर में सरसों का तेल डालकर मिट्टी का दीपक जलाने से शनि और मंगल ग्रह मजबूत होते हैं। दरअसल, मिट्टी को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है जबकि तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन तेल से मिट्टी का दीपक जलाने से इन ग्रहों से होने वाली परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
दिवाली पर घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। गाय के घी का दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और व्यक्ति पर अपनी कृपा बरसाती हैं, जिससे घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और व्यक्ति की प्रगति नहीं रुकती है। इसलिए पूजा के दौरान सबसे पहले देवी लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाया जाता है।शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे और अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर जश्न मनाया था। लेकिन इस दिन मिट्टी का एक दीपक घी और बाकी तेल से क्यों जलाया जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे का महत्व. सबसे पहले हम जानेंगे कि दिवाली की रात दीपक क्यों जलाए जाते हैं।
दिवाली पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर में महालक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए उनके स्वागत के लिए घर में दीपक जलाया जाता है। इसके साथ ही दिवाली का त्योहार अमावस्या के दिन मनाया जाता है इसलिए इस दिन घर में दीपक जलाने से अंधेरी रात दूर हो जाती है। वहीं इस दिन रात को एक घी का और बाकी तेल का दीपक जलाने की प्रथा है। जानिए इस परंपरा के पीछे की कहानी.