देवता पुंडरिक ऋषि के बिना कुल्लू दशहरे का आरंभ व संपन्न अधूरा

कुल्लू। कुल्लू जिला की सैंज घाटी स्थित कोठी बनोगी क्षेत्र के विष्णु अवतार अधिष्ठाता देवता पुंडरिक ऋषि की प्राचीन समय में दशहरा उत्सव में मुख्य भूमिका रहती थी। इसके बाद किसी कारणवश देवता ने दशहरा में भाग नहीं लिया था, ऐसे में देवता पुंडरिक का स्थान अन्य देवता ने हासिल किया है। वहीं देवता पुंडरिक ऋषि के दशहरा उत्सव में शामिल न होने का विशेष कारण यह रहा था कि काफी समय पूर्व दशहरा उत्सव ढालपुर में गोलीकांड हुआ था।

गोलीकांड होने के भय से देवता पुंडरिक बहुत अरसे तक कुल्लू दशहरा में अपनी उपस्थित दर्ज नहीं कर पाए, जिससे देव परंपरा और दैवीय मर्यादा भंग हो गई थी बाद में मुख्य भूमिका का निर्वहन करने में कठिनाइयां सामने आई हैं। गौर रहे कि देवता पुंडरिक कुल्लू राज घराना एवं राज परिवार के साथ देवता पुंडरिक का बहुत गहरा संबंध है। अभी भी देवता पुंडरिक के लिए कुल्लू के रघुनाथ पुर सुल्तानपुर में विशेष स्थान मौजूद है। पूर्व समय में देवता पुंडरिक दशहरा के पहले ही दिन भगवान रघुनाथ के दाईं ओर चलते थे। मान्यता है कि देवता पुंडरिक के बिना अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आरंभ और संपन्न अधूरा है।