वास्तुकला की संस्कृति को समझना होगा: निदेशक

बिहार | एनआईटी के छात्र निरंतर सीखने और ज्ञान के आदान-प्रदान की संस्कृति को बढ़ावा देने में सहायक रहे हैं. छात्रों को वास्तुकला की संस्कृति के महत्व को समझना चाहिए.
ये बातें राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), पटना में पांच दिवसीय कार्यशाला ‘मेटा मॉडर्न एड परफॉर्मेटिव अप्रोच टू आर्किटेक्चरल डिजाइन’ के उद्घाटन में एनआईटी के निदेशक प्रो. पीके जैन ने कही. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का उदेश्य वास्तुकला को आकार देने में संस्कृति के महत्व को समझना है. हाल के दिनों में विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं. प्रो. श्रीधर राजन ने सांस्कृतिक मूल्यों के महत्व, वास्तुशिल्प डिजाइन पर राय रखी.
वास्तुकला के महत्व से छात्र-छात्राएं हुए अवगत
एनआईटी के छात्रों को प्रो. संजीव सिन्हा ने वास्तुकला के महत्व के बारे में बताया. प्रो. मनोज कुमार ने समय के साथ सांस्कृतिक मूल्य कैसे विकसित हुए व वास्तुकला डिजाइन का मार्गदर्शन करने के लिए इस पाठ्यक्रम के महत्व पर जोर दिया. संयोजक प्रोफेसर फुलेना रजक ने भी संबोधित किया. डॉ. रवीश कुमार के धन्यवाद ज्ञापन किया.


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