‘यशोदा’ तैयार पर नहीं मिल रही ममता की छांव

वाराणसी: बीएचयू अस्पताल में भर्ती लावरिस बच्ची को गोद लेने पांच लोग आगे आए हैं, लेकिन जटिल कानूनी प्रक्रियाएं आड़े आ रही हैं. यह सिर्फ इस बच्ची के साथ ही नहीं बल्कि बाल संरक्षण विभाग के पास 13 ऐसे बच्चे हैं जिन्हें ममता की छांव का इंतजार है. गोद लेने वाली ‘यशोदा’ तैयार हैं लेकिन उनकी गोद सूनी है.
लावारिस नवजात मिलने पर उसे ‘कारा’ (केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) से पंजीकृत जिले की पांच निजी संस्थाओं में रखा जाता है. इस समय इन संस्थाओं में 13 बच्चे हैं. नौ दंपतियों ने इन्हें गोद लेने के लिए आवेदन किया है लेकिन स्थानीय स्तर पर बच्चों को गोद नहीं दिया जा रहा है. अनुपात में देखा जाए तो गोद लेने वालों की संख्या भी कम है.

नौ महीने में मिले 29 लावारिस
बाल संरक्षण अधिकारी निरूपमा सिंह ने बताया कि जिले में जनवरी से अब तक एक साल से कम उम्र के 29 लावरिस बच्चे मिले हैं. इनमें 27 बच्चियां हैं. पिछले डेढ़ माह में चार बच्चियां मिली हैं. इसमें दो अस्पताल में भर्ती हैं. कई को अभी गोद लेने की प्रक्रिया में नहीं शामिल किया गया है. से अब तक 48 बच्चों को गोद दिया गया है. इसमें 32 बच्चियां और बच्चे हैं.
प्रक्रिया ऑनलाइन होती है. आवेदन के समय दस्तावेज देने होते हैं. सोशल इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट बनती है. बच्चे की फिटनेस जांच आदि में समय लगता है. फिर भी अब प्रकिया तेज हो रही है.
-एसएस पांडेय, प्रोबेशन अधिकारी