पिछले साल 80 रुपए किलो था मखमली स्टार्च गुलाल, इस बार 110 रुपए किलो बिक रहा

करौली। करौली रंगों का त्योहार होली सोमवार से शुरू हो गया है। वैसे तो इसकी शुरुआत होलाष्टक से हो चुकी है. सोमवार को होली दहन और मंगलवार को धुलेंडी मनाई जाएगी। बाजारों में होली का उत्साह नजर आ रहा है। बाजारों में रंग गुलाल और पिचकारी की दुकानें सजने लगी हैं, वहीं इस साल रंग गुलाल पिचकारी के दाम बढ़ रहे हैं, मांग के चलते इनके दाम 20 से 25 फीसदी तक बढ़ गए हैं. मंदिरों में फाग पर्व के साथ ही रंगों और फूलों से होली खेली जा रही है। होली पर महंगाई ने जरूर विघ्न डाला है। पिचकारी और रंगों की कीमतों में 20 से 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। यही वजह है कि रंगों में पिचकारी का कारोबार फिलहाल मंदा है। हालांकि दुकानें सज गई हैं, लेकिन ग्राहक नजर नहीं आ रहे हैं और मांग भी अच्छी है। लेकिन इस साल होली पर ग्रामीण क्षेत्रों में रबी फसल सरसों, गेहूं, चना की कटाई के साथ ही खेती का काफी काम चल रहा है।
जिससे किसान फसलों के काम में व्यस्त हैं. पहले तीज-त्योहारों पर आपसी भाईचारे की भावना में सौन्दर्य और समरसता से भरा उत्साह और उल्लास का वातावरण हुआ करता था, लेकिन अब ऐसा देखने को नहीं मिलता है। लोग अब प्लान कर रहे हैं कि इस बार होली कहां और कैसे खेलें, जिससे लोगों में उत्साह बना रहे। जिले भर में 60, 70 दुकानें हैं और साथ ही आसपास के बड़े कस्बे भी हैं, जहां दुकानदारों द्वारा कई दिनों से हरे, पीले, नीले, गुलाबी रंग और विभिन्न प्रकार के कार्टन की दुकानों पर रंग बेचकर होली सजाई जाती है। इस साल सबसे ज्यादा डिमांड वेलवेट स्टार्च, सलेम, अरारोट गुलाल की है, जो 100 ग्राम से लेकर 5 किलो तक की पैकिंग में उपलब्ध है। इस प्रकार का गुलाल गुलाब और अन्य फूलों की प्राकृतिक पत्तियों से बनाया जाता है, जो सुगंधित और रासायनिक मुक्त होते हैं, जिन्हें शरीर और मुंह पर लगाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है। यह गुलाल लाल हरा, नीला, पीला समेत सात रंगों में मिलता है।
