शिमला में भवन निर्माण बंदिशें और सख्त

शिमला। राजधानी शिमला में भवन निर्माण पर लगी बंदिशे अब और कड़ी हो गई हैं। शनिवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में शिमला डिवेलपमेंट प्लान में और संशोधन करने का फैसला लिया गया। शिमला डिवेलपमेंट प्लान को पूर्व भाजपा सरकार के समय बनाया गया था, लेकिन एनजीटी में चल रहे केस के कारण इस पर रोक लग गई थी। अब रोक तो नहीं है, लेकिन शिमला डिवेलपमेंट प्लान के अनुसार भवन निर्माण की अनुमति देने की मंजूरी भी कोर्ट से अभी नहीं मिली है। शिमला डिवेलपमेंट प्लान में शहर में कुल 17 ग्रीन बेल्ट पहले से अधिसूचित हैं। इन ग्रीन बेल्ट में नया भवन निर्माण नहीं हो सकता और इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी कई तरह की बंदिश लगाई हुई है। शिमला की ग्रीन बेल्ट को शहर के लंग्स यानी फेफड़ों की संज्ञा दी जाती है।

वर्तमान सरकार ने भी पिछले महीने हुई कैबिनेट की बैठक में ग्रीन बेल्ट को लेकर नियमों में एक बदलाव किया था। इसमें यह प्रावधान किया गया था कि यदि ग्रीन बेल्ट के प्लाट में एक भी पेड़ है, तो भी भवन निर्माण की अनुमति नहीं मिलेगी, लेकिन शनिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इससे भी बड़ा फैसला सरकार ने ले लिया है। कैबिनेट की ब्रीफिंग देने आए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान ने बताया कि राज्य सरकार ने शिमला डिवेलपमेंट प्लान में संशोधन किया है और 17 ग्रीन बेल्ट के साथ अब आठ और ग्रीन बेल्ट इसमें जोड़ी गई है। अब शिमला शहर के दायरे में ही कुल 25 ग्रीन बेल्ट हो गई हैं। इसका ड्राफ्ट टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग जल्द जारी करने वाला है। इस पर लोगों से आपत्तियां और सुझाव भी लिए जाएंगे उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान ने बताया कि कैबिनेट का लक्ष्य शिमला के पर्यावरण को बचाना है। इस बार बरसात के सीजन में शिमला शहर में खतरा देखा है उसे देखते हुए इस तरह के कदम उठाना जरूरी है।