Mystery of The Tattoo Review : एक टैटू के इर्द-गिर्द घूमती दिखी फिल्म की पूरी कहानी, पढ़िए कैसी है फिल्म की कहानी

मुंबई | एक्ट्रेस अमीषा पटेल की फिल्म ‘गदर 2’ बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर रही है। अमीषा की एक और फिल्म ‘मिस्ट्री ऑफ द टैटू’ भी सिनेमाघरों में पहुंच चुकी है। कहा जा सकता है कि ये फिल्म एक मर्डर मिस्ट्री है लेकिन ये मिस्ट्री क्या है ये कोई नहीं जानता. हालांकि फिल्म में केवल अमीषा पटेल और अभिनेता अर्जुन रामपाल अतिथि भूमिका में हैं, लेकिन जिस तरह से उन्हें फिल्म के प्रचार में दिखाया गया है, उससे लगता है कि फिल्म के निर्माता अपनी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘गदर 2’ को लेकर काफी उत्साहित हैं। फिल्म में अमीषा पटेल विश्व प्रसिद्ध चित्रकार चित्रा देवी की भूमिका निभा रही हैं। और, फिल्म की कहानी उसकी हत्या से शुरू होती है।
फिल्म की कहानी चित्रा देवी की हत्या के 20 साल बाद सामने आती है। आत्मिका का किरदार निभा रहीं डेजी शाह पेंटिंग सीख रही हैं। अचानक, वह एक हत्या के मामले में फंस जाती है जब पुलिस एक अन्य हत्या के मामले को सुलझाने में उसकी मदद मांगती है। मारे गए व्यक्ति के हाथ पर बने टैटू के कारण दोनों हत्याएं आपस में जुड़ी हुई प्रतीत हो रही हैं। आत्मिका की जान लेने की भी कोशिशें हुई हैं और संयोग से जिस शख्स ने उसे दो बार बचाया उसकी बांह पर भी एक टैटू है। जितनी भी हत्याएं हो रही हैं उनका संबंध कहीं न कहीं चित्रा देवी हत्याकांड से है। इन सभी हत्याओं के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है? फिल्म की पूरी कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।
फिल्म में होने वाली हत्याओं के पीछे टैटू की समानताएं दिखाई गई हैं। जिसका लॉजिक फिल्म की कहानी में नहीं बताया गया है। कहने को तो यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है, लेकिन पूरी फिल्म देखने के बाद न तो सस्पेंस महसूस होता है और न ही रोमांच पैदा होता है। फिल्म के लेखक कलाइरासी सथप्पन ने कहानी का ऐसा ताना-बाना बुना है कि फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि फिल्म सिर्फ फिल्म बनने के लिए ही बनाई गई है। कलैरासी सथप्पन ने गणेश महादेवन के साथ मिलकर फिल्म का निर्देशन किया है। दोनों के बीच आपसी तालमेल नजर नहीं आ रहा है। फिल्म के सीन इस तरह से फिल्माए गए हैं कि वो बेहद भद्दे लगते हैं।
आमतौर पर बैकग्राउंड म्यूजिक ऐसी फिल्म के दृश्यों को उभारने में मदद करता है लेकिन यहां इसका भी सही इस्तेमाल नहीं हो सका। सब्सिडी के लालच में बनाई गई इस फिल्म की शूटिंग लंदन में की गई है। स्थानीय कलाकारों की अंग्रेजी भी उत्कृष्ट है। हिंदी में भी ऐसे डायलॉग नहीं हैं, जिन्हें सुनकर दिल दहल जाए। संगीत अभिनव शेखर, एल.के. विजय कुमार की सिनेमैटोग्राफी और जेरोम एलन का संपादन औसत दर्जे का है।
एक्ट्रेस डेजी शाह ने पांच साल बाद फिल्म ‘मिस्ट्री ऑफ द टैटू’ के जरिए बड़े पर्दे पर वापसी की है। लेकिन उनकी एक्टिंग में कोई ताजगी देखने को नहीं मिली। इस फिल्म के जरिए रोहित राज हिंदी सिनेमा में एंट्री कर रहे हैं, लेकिन उनमें काम के प्रति वो जोश और समर्पण नहीं दिखा जो होना चाहिए था। फिल्म में अमीषा पटेल और अर्जुन रामपाल की खास भूमिका है इसलिए उनसे कुछ खास उम्मीद करना बेमानी होगी। फिर भी उन्हें जो भी स्क्रीन स्पेस मिला उसमें उनकी मेहनत अच्छी दिखी। मनोज जोशी और मायरा सरीन का अभिनय अच्छा है। कुल मिलाकर फिल्म ‘मिस्ट्री ऑफ द टैटू’ का सबसे बड़ा और अनसुलझा रहस्य ये है कि ये फिल्म बनाई क्यों गई?


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