घर पर गिरी पेड़ की टहनी, बाल-बाल बची बुजुर्ग महिला

सीकर। सीकर इसे प्रशासन का नकारापन कहें या नकटाई। खंडेला के भादवाड़ी गांव में गरीबी से संघर्ष कर रहा रवि नट का परिवार मौत का साया बने एक सूखे बरगद के पेड़ को कटवाने की गुहार पांच साल से शासन- प्रशासन से कर रहा था। पर किसी भी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आखिरकार घर के बिल्कुल नजदीक स्थित इस पेड़ की एक बड़ी डाल शनिवार को हुई बारिश में टूटकर परिवार के कच्चे मकानों पर गिर पड़ी। जो मकान की रसोई के टिनशैड को तोड़ती हुई अंदर तक घुस गई। गनीमत से चंद पल पहले ही रसोई से बाहर निकलने पर रवि की मां तो बाल— बाल बच गई। लेकिन, घटना ने प्रशासन गांवो के संग अभियान के दावों की धज्जियां उड़ा दी है। रवि नट भांड कलाकार है। उसका 21 सदस्यों का परिवार एक कच्चे मकान में रहता है।
जिसके पास स्थित पुराना सूखा बरगद कई सालों से परिवार के लिए दहशत का सबब बना हुआ है। आलम ये है कि बारिश व तूफान की स्थिति में परिवार को घर छोडक़र नजदीकी मंदिर में शरण लेनी पड़ती है। पेड़ को हटाने के लिए रवि ग्राम सेवक, सरपंच, तहसीलदार, एसडीएम, कलक्टर व संपर्क पोर्टल के जरिये राज्य सरकार तक गुहार लगा चुका है। 18 फरवरी 2020 को रात्रि चौपाल में पीड़ा रखने पर कलक्टर और फिर प्रशासन गांवों के संग अभियान में एसडीएम ने पेड़ हल्का करने के निर्देश भी दिए। पर किसी भी स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
