तथ्य छुपा कर याचिका दाखिल करने वाला राहत पाने का अधिकारी नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि तथ्य छिपाकर याचिका दाखिल करने वाला व्यक्ति किसी प्रकार की राहत पाने का अधिकारी नहीं है। हाईकोर्ट ने प्रयागराज के बक्शी खुर्द दारागंज स्थित बाल कल्याण पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत सहायक अध्यापक अरुण कुमार मिश्रा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली सुनील कुमार श्रीवास्तव की याचिका खारिज कर दी है। सुनील की याचिका पर न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने सुनवाई की।
याचिका में कहा गया कि अरुण कुमार मिश्रा की नियुक्ति फर्जी दस्तावेजों के आधार पर की गई है। इसलिए इसकी जांच कर कार्रवाई की जाए। शिकायत पर बीएसए ने जांच तो शुरू की मगर, अब तक जांच पूरी नहीं की गई है। याचिका में मांग की गई थी कि बीएसए को जांच पूरी कर कार्रवाई करने का आदेश दिया जाए। इसके जवाब में विपक्षी अधिवक्ता का कहना था कि याची ने याचिका में एक महत्वपूर्ण तथ्य को जानबूझकर छुपाया है।
तथ्य यह है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अरुण कुमार मिश्रा के खिलाफ जांच शुरू करने के साथ ही छह फरवरी 2023 को आदेश पारित कर उसका वेतन रोक दिया था। बीएसए के इस आदेश को अरुण कुमार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। 4 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश के तहत अरुण कुमार का वेतन बहाल करने का आदेश दिया ।
याची सुनील कुमार श्रीवास्तव को इस तथ्य की पूरी जानकारी है। क्योंकि, उसने स्वयं उस याचिका में पक्षकार बनने की अर्जी दी हुई है। हाईकोर्ट के आदेश से भलीभांति वाकिफ होने के बावजूद इस याचिका में उन्होंने इस तथ्य को छुपाया।


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