देवउठनी एकादशी पर 147 दिन की निंद्रा के बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु फिर से जगेंगे

जयपुर: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गुरुवार को देवउठनी एकादशी पर 147 दिन की निंद्रा के बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु फिर से जगेंगे। अबूझ झावे पर शहनाइयों की गूंज के साथ ही राजधानी में बैंड, बाजा और बारात की धूम रहेगी। मुंडन, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार आदि मांगलिक कार्य शुरु हो जाएंगे। शादियों के लिए गार्डन, रिसोर्ट, होटल बुक हो चुके हैं। थीम बेस शादियों के साथ ही बैंकॉक, बेंगलुरु, पुणे के फूल शामियाने की रौनक में चार चांद लगाएंगे। इनको हवाई जहाज से मंगवाया जा रहा है। फूलों में हिमाचल प्रदेश, पूना, कोलकाता और बेंगलुरू की मांग है। शादियों में भोजन झूठा नहीं छोड़ने, कन्या भू्रण हत्या न करने, प्लास्टिक को यूज नहीं लेने, गो ग्रीन को प्रमोट करने जैसे अन्य संदेश मेहमानों को दिए जाएंगे।

तुलसी महारानी का होगा विवाह
देवउठनी एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में शंख बजाकर भगवान विष्णु को जगाया जाएगा। मंदिरों में तुलसी विवाह का आयोजन होगा। इस विवाह के माध्यम से ठाकुरजी भगवान का आह्वान करेंगे। तुलसी महारानी और भगवान सालिग्राम जी विवाह कराया जाएगा। शास्त्रों में बताया गया है जिन दंपतीयों के कन्या नहीं होती है, वे जीवन में एक बार तुलसी विवाह करके कन्यादान का पुण्य अर्जित कर सकते हैं। आराध्यदेव राधा गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी की मौजूदगी में तुलसी महारानी व सालिग्राम पंचामृत अभिषेक, पूजन एवं आरती की जाएगी। मंदिर परिसर की परिक्रमा लगवाई जाएगी। इस दिन तीर्थ स्नान, दानपुण्य के साथ दीपदान करने से कभी नहीं खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेंद्र मिश्रा ने बताया कि देव प्रबोधिनी एकादशी पर सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। सिद्धि योग सुबह 11:55 से शुरू होगा। रवि योग सुबह 6:50 से शुरू होकर शाम 5:16 बजे तक रहेगा। इसके बाद सवार्थ सिद्धि योग प्रारंभ होगा।