वामदलों के लिए लोस की सीटें दूर की कौड़ी, पिछले तीन लोकसभा चुनावों में वामदल अपने बूते चुनाव लड़े

झारखण्ड | लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी दलों का गठबंधन आईएनडीआईए देशभर में भाजपा को हराने के लिए वन-टू-वन फार्मूले के तहत चुनाव लड़ने की योजना बना रहा है. लेकिन, झारखंड की स्थिति पर गौर करें तो विपक्षी इंडिया के वर्तमान ढांचे में वामदलों को लोकसभा की सीटों से रहना पड़ सकता है, क्योंकि सीटों की जो वर्तमान स्थिति है, उसमें वामदलों को कहीं जगह मिलती नहीं दिख रही है. लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर दलों के बीच फार्मूले पर रणनीति बननेवाली है. नई दिल्ली में पिछले दिन हुई बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई, लेकिन अभी कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है. जाहिर है पूरे देश के साथ-साथ झारखंड की लोकसभा सीटों के बंटवारे का भी फार्मूला तय होगा. यहां लोकसभा की 14 सीटों के लिए आईएनडीआईए गठबंधन के तीन मुख्य दल दावेदार हैं. कांग्रेस, झामुमो और राजद मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ते रहे हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में भी तीनों दलों का फुलप्रूफ गठबंधन बना था. उस समय इनके साथ झारखंड विकास मोर्चा भी था, लिहाजा 14 में से दो सीटें उसके खाते में भी बंटवारे के तहत मिली थी. कांग्रेस ने सात, झामुमो चार, झाविमो दो और राजद को एक सीट बंटवारे में मिली. चुनाव के अंतिम परिणाम में यूपीए दो सीट राजमहल और पश्चिम सिंहभूम (चाईबासा) पर जीत हासिल करने में सफल रहा.
पिछले तीन लोकसभा चुनावों में वामदल अपने बूते चुनाव लड़े आईएनडीआईए के पुराने स्वरूप यूपीए ने पिछले तीन लोकसभा चुनावों में सीटों का आपस में बंटवारा तो कर लिया, लेकिन वामदलों के लिए इस बंटवारे में कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी. लिहाजा वामदल अपने बूते चुनाव लड़ गये. नतीजा पहले से ही जाहिर था. इनके पक्ष में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआई में 28 राजनीतिक दल शामिल हैं. सभी दल भाजपा को हराने के लिए एकजुट हो चुके हैं, लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर फिर वही समस्या सामने आनेवाली है.
सीपीआई, भाकपा माले व मासस की दावेदारी
सबसे बड़ा सवाल वामदलों का है. क्या वामदल सिर्फ समर्थन का राग आलापते रहेंगे या उन्हें भी लोकसभा में झारखंड से प्रतिनिधत्वि का अवसर मिलेगा. सीपीआई ने 2004 में हजारीबाग सीट पर सफलता पायी थी. धनबाद में मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) के एके राय कई बार सांसद निर्वाचित हो चुके हैं. भाकपा माले ने कोडरमा से कई बार अपने उम्मीदवार उतार कर
सामने वाले प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को चुनौती दी है.
ऐसे में सीपीआई, भाकपा माले और मासस की दावेदारी गलत नहीं कही जा सकती है. सीपीआई हजारीबाग, भाकपा माले कोडरमा और मासस राजमहल सीट पर दावेदारी कर सकती है.
झारखंड में बड़े भाई की भूमिका तय होनी बाकी
झारखंड के 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए बड़े भाई की भूमिका तय होनी बाकी है. झामुमो राज्य में सरकार का नेतृत्व कर रहा है, लिहाजा लोकसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में आने की मंशा जता चुका है, लेकिन कांग्रेस ने फिलहाल यह कहकर मामला टाल दिया है कि केंद्रीय स्तर पर यह तय होगा कि कौन बड़ा भाई है, कौन छोटा. उधर, राजद की भी राजनीतिक महत्वकांक्षा बढ़ी हुई है. राजद की तीन से चार सीटों पर दावेदारी से सीपीआई, भाकपा माले और मासस की दावेदारी कहीं टिकती नहीं दिख रही है. राजद गोड्डा, कोडरमा, चतरा और पलामू में लड़ने को बेताब है.


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