
यूपी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा है कि कोर्ट परिसर के भीतर वकील समेत कोई भी व्यक्ति शस्त्र नहीं रख सकता है। शस्त्र रखने का अधिकार सिर्फ सुरक्षाकर्मियों को है। न्यायालय ने प्रदेश के सभी जनपद न्यायाधीशों, न्यायिक अधिकारियों, जिला अधिकारियों को आदेश दिया कि कोर्ट परिसर में हथियार रखने वाले वकीलों समेत अन्य लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने व उनके शस्त्रत्त् लाइसेंस निरस्त करने की भी कार्रवाई की जाए। यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने अमनदीप सिंह की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि कोर्ट परिसर, अधिवक्ता चैंबर्स, कैंटीन, बार एसोसिएशन्स, किसी भी सार्वजनिक स्थल पर शस्त्रत्त् लजाना लोक शांति व सुरक्षा के लिए खतरा माना जाएगा।

न्यायालय ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा कि शस्त्रत्त् रखना किसी भी नागरिक का मौलिक अधिकार नहीं है। न्यायालय ने याची के दलीलों पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि यह न्यायिक इतिहास का एक निराशाजनक क्षण है। एक अधिवक्ता जिसकी महज दो सालों की प्रैक्टिस है, वह यह दलील दे रहा है कि पेशे में सफलता के लिए कोर्ट रूम में असलहा लेकर जाना आवश्यक है। न्यायालय ने नसीहत देते हुए कहा कि एक अधिवक्ता के लिए हमेशा से कानून का ज्ञान, कठिन परिश्रम और ताकत जो उसके कलम से निकलती है, महत्वपूर्ण रहीे हैं। चिंता प्रकट करते हुए कहा कि कानून के पेशे में अब व्यवस्थित ट्रेनिंग के बिना आने वालों की भीड़ बढ़ रही है। न्यायालय ने बार काउंसिल को भी इस सम्बंध में उपाय करने की सलाह दी है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों के सिवाय किसी भी अन्य व्यक्ति के कोर्ट परिसर में शस्त्रत्त् पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।