कॉलेज में चहारदीवारी नहीं होने से छात्रों को परेशानी

बिहार | आरडी एंड डीजे कॉलेज के बाद के जिले के दूसरे बहुचर्चित और प्रतिष्ठित जगजीवन राम श्रमिक महाविद्यालय अपने स्थापना काल से ही आंतरिक संरचनाओं के विकास को तरस रहा है. वर्तमान समय में 3700 छात्र-छात्राएं उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए यहां से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. इसके साथ ही 18 शिक्षकों के कंधों पर सभी विषयों के स्नातक एवं इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं का भविष्य टिका हुआ है. यह महाविद्यालय 13.5 एकड़ भूमि में फैले हुआ है. वर्तमान में महाविद्यालय की स्थिति यह है कि आज तक इसको अपना परिसर नसीब नहीं हुआ है. कुछ वर्षों पूर्व तत्कालीन प्राचार्य प्राचार्य डॉ. देवराज सुमन जो अभी भी कॉलेज के प्राचार्य हैं, के प्रयास से केवल आधी-अधूरी चहारदीवारी का निर्माण किया गया. इसके बाद से अभी भी यह महाविद्यालय चहारदीवारी पूरी होने के इंतजार में है. कॉलेज में चहारदीवारी नहीं रहने से कॉलेज परिसर का मैदान आवारा पशुओं के साथ पालतू जानवरों का चारागाह बना हुआ है. इसके साथ ही कॉलेज के आसपास असामाजिक तत्वों का भी जमावड़ा लगा रहता है. ऐसे में कॉलेज के स्थापना काल से ही आज तक कॉलेज में पढ़ने वाले और रोज आवागमन करने वाले छात्र-छात्राओं, खासकर छात्राओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

क्या कहते हैं कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य
जगजीवन राम श्रमिक कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. देवराज सुमन ने महाविद्यालय के आंतरिक संरचना के विकास के संबंध में बताते हुए कहा कि आधारभूत संरचना एवं शैक्षणिक माहौल बनाने में हमने शत-प्रतिशत कॉलेज में सफलता हासिल की है. अभी जब कॉलेज में चतुर्थ वर्षीय पाठ्यक्रम लागू हुआ उसके उपरांत और छात्र-छात्राओं को बुलाकर कक्षा में उपस्थिति जब दर्ज कराया तो हमने महसूस किया कि कॉलेज में आंतरिक संरचना के विकास की जरूरत है. जिसके लिए महाविद्यालय प्रशासन द्वारा विवि प्रशासन से दो बड़े कॉन्फ्रेंस भवन के साथ, 4 सौ सीट बैठने वाले सभागार के साथ परिसर में चहारदीवारी निर्माण का प्रस्ताव दिया गया है.
क्या कहती हैं छात्रा
वर्तमान समय में जगजीवन राम श्रमिक महाविद्यालय से स्नातक कर रही छात्रा मरियम नवाज ने कहा कि वैसे तो कॉलेज आवागमन में आज तक विशेष परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा है. लेकिन, कॉलेज परिसर की अपनी चहारदीवारी होने से छात्राएं निर्भीक होकर महाविद्यालय आवागमन कर सकेंगी.