कांग्रेस में चुनावी तैयारियों को लेकर बैठकों का दौर जारी

राजस्थान। कांग्रेस का चुनावी मिशन जारी है. भले ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ न हों. राजस्थान कांग्रेस की चुनावी तैयारियां इसी तेजी से चल रही हैं. जयपुर में आज दो अहम बैठकें हुईं. पहली बैठक कांग्रेस के वॉर रूम में हुई. इधर, वरिष्ठ पर्यवेक्षक मधुसूदन मिस्त्री ने लोकसभावार नियुक्त पर्यवेक्षकों से फीडबैक लिया. इसमें चार राज्य समन्वयक भी मौजूद थे. दूसरी बैठक प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई. इसमें एलडीएम प्रोजेक्ट की समीक्षा की गयी. मधुसूदन मिस्त्री ने मीडिया से कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि राजस्थान में फिर से कांग्रेस का शासन आ रहा है. मिस्त्री ने कहा कि पर्यवेक्षक का काम राय देना है न कि टिकट चुनना. इस बार फोकस इस बात पर है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस कहां कमजोर थी.
गुजरात के नेता मधुसूदन मिस्त्री और तेलुगु नेता के राजू ने राजस्थान में डेरा डाल दिया है. ये दोनों कांग्रेस आलाकमान की आंख, नाक और कान बन गए हैं. राहुल गांधी के करीबी दोनों नेता राजस्थान से लेकर दिल्ली तक पल-पल का चुनावी फीडबैक बता रहे थे. चाहे वह लोकसभा पर्यवेक्षकों का फीडबैक हो या एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक सीटों को भरने के लिए अपनाई जा रही एलडीएम परियोजना। मधुसूदन मिस्त्री ने कांग्रेस वार रूम में लोकसभावार लगाये गये पर्यवेक्षकों की बैठक ली. फीडबैक से पता चला कि झालावाड़, पाली, जालौर-सिरोही, चित्तौड़, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, कोटा-बूंदी, लोकसभा की अधिकांश विधानसभा सीटों पर औसत 60 के आसपास मानी जाती है। मतलब यहां कड़ी मेहनत की सबसे ज्यादा जरूरत है, पर्यवेक्षकों ने यहां सटीक टिकट चयन की वकालत की है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि यहां की कई विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से ज्यादा मजबूत है, ऐसे में ठोस रणनीति बनाने की जरूरत है. मिस्त्री ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस शासन की वापसी को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए.
अब कांग्रेस के एलडीएम प्रोजेक्ट के बारे में। सबसे पहले वॉर रूम में बैठक हुई. इसमें 25 लोकसभा सीटों के पर्यवेक्षक मौजूद थे. एलडीएम प्रोजेक्ट के तहत कांग्रेस का फोकस एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक बहुल 59 सीटों पर है. पिछले 1 साल में कांग्रेस ने एलडीएम समन्वयकों की नियुक्ति कर वहां से फीडबैक लेने का काम किया है. प्रदेश कांग्रेस वॉर रूम और प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा मौजूद नहीं थे. बल्कि केंद्रीय नेताओं ने अलग-अलग बैठकें कीं. बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नियुक्त पर्यवेक्षक रंजीता रंजन, किरण चौधरी, डॉ. हरकसिंह रावत, शमशेर सिंह ढिल्लो, बी. पी. सिंह, राजेंद्र सिंह कुम्पावत सहित विधानसभा क्षेत्रवार नियुक्त एलडीएम समन्वयकों ने भाग लिया। बैठकों का पहला मकसद पारंपरिक वोट बैंक का इस्तेमाल कर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार लाना है. यह भी तय कर रही है कि कब और कहां किन बड़े नेताओं को प्रचार के लिए लाना है. गौरतलब है कि मधुसूदन मिस्त्री खुद नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, इसलिए गुजराती नेता ने शायराना अंदाज में अपनी बात रखी. मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने राजस्थान चुनाव के मद्देनजर एक समानांतर केंद्रीय चुनाव टीम का गठन किया है। यह टीम समय-समय पर बैठकें लेने के साथ ही महत्वपूर्ण रिपोर्ट ऊपर तक भेजने का काम करेगी।
