भूमिगत खनन के लिए हाइड्रोलिक स्टीयरिंग सिस्टम, यह बिजली बचाएगा

झारखण्ड | अंडरग्राउंड माइनिंग में लाेड हाॅल डंप मशीन का इस्तेमाल हाेता है, जाे काेयले काे उठाकर कन्वेयर बेल्ट पर डालता है। फिलहाल इस मशीन में दाे हाइड्रोलिक सिस्टम का उपयाेग हाे रहा है, जिससे बिजली की काफी खपत हाेती है। यही नहीं, मशीन खराब हाे जाए ताे उसे वहीं पर ठीक करना पड़ता है। ऐसे में मशीन के दाेबारा दुरुस्त हाेने तक अंडरग्राउंड माइन का रास्ता जाम हाे जाता है।
अंडरग्राउंड माइन में चल रही अन्य माइनिंग गतिविधियां भी प्रभावित हाेती हैं। अब इन दाेनाें समस्याऔं का समाधान आईआईटी आईएसएम, धनबाद के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने खाेज निकाला है। संस्थान की टीम ने लाेड हाॅल डंप के लिए खास हाइड्रोलिक स्टीयरिंग सिस्टम विकसित किया है। इसमें दाे की जगह एक ही मेकेनिज्म से मशीन के दाे सिस्टम काम करेंगे, जिससे 15 से 20 फीसदी बिजली की बचत हाेगी। पहले केबल रीलिंग ड्रम के संचालन के लिए अलग हाइड्रोलिक सिस्टम हाेता है। एक अतिरिक्त पंप की जरूरत हाेती थी, लेकिन अब इस हाइड्रोलिक सिस्टम काे हटा दिया गया है।
पुरानी मशीन खराब हुई तो बंद हो जाता था भूमिगत खदान का रास्ता
एक्यूमुलेटर के जरिए खराब मशीन को दूसरी जगह ले जाना अब आसान
पुरानी मशीन खराब हाे गई ताे उसी जगह पर मरम्मत करनी पड़ती थी, लेकिन नए सिस्टम में एक्यूमुलेटर डिवाइस लगाया गया है। इससे मशीन काे ठीक करने के लिए तत्काल दूसरी जगह ले लाया जा सकता है। इससे माइन के अंदर का रास्ता जाम नहीं हाेगा और गतिविधियां जारी रहेंगी।
आईआईटी में वर्ष 2019 में हुई थी प्राेजेक्ट की शुरुआत
यह खास हाइड्रोलिक स्टीयरिंग सिस्टम बनाने वाली टीम में प्रो अजीत कुमार, प्रो निरंजन कुमार और दो शोधकर्ता शामिल हैं। टीम ने वर्ष 2019 से प्राेजेक्ट पर काम शुरू किया था, जिसके बाद अब यह सिस्टम विकसित किया गया है। इस प्राेजेक्ट पर संस्थान ने 6 लाख रुपए की फंडिंग की थी। प्राे अजीत कुमार ने बताया कि अंडरग्राउंड माइंस के अंदर डीजल इंजन का उपयाेग संभव नहीं है। इसलिए हाइड्रोलिक का इस्तेमाल हाेता है। ऐसे में बिजली खपत काे कम करने के लिए यह नया सिस्टम बेहतर है।
