गांवों में दिन-रात बिजली गुल, रात भर मच्छर मंडराते, बीमारियों का डर

झालावाड़। झालावाड़ प्रदेश में गहराते बिजली संकट के कारण बंद हुई बिजली उत्पादन इकाइयों का असर ग्रामीण क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। गत एक माह से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती से लोगों की नींद हराम हो गई है। एक तो भीषण गर्मी के चलते ग्रामीणों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। वहीं एक ओर बिजली विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही सामने आ रही है। ग्रामीणों के अनुसार निर्धारित विद्युत आपूर्ति के अभाव में लोगों के कई आवश्यक कार्य नहीं हो पा रहे है,समय तय नहीं होने से पता नहीं कब बिजली गुल हो जाए। वहीं पूछने पर अभियंता संतोषप्रद जवाब नहीं दे पा रहे है। जिले के गांवों क्षेत्र में 24 घंटे में से मुश्किल से 8 स 10 घंटे ग्रामीण क्षेत्र में बिजली मिल रही है। बारिश नहीं होने से जिले में 39 फीसदी तक बिजली का लोड बढ़ गया है। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। प्रदेश के अन्य राज्यों में बारिश नहीं होने से वहां भी बिजली की मांग बढ़ गई है।
ऐसे में राजस्थान को यूपी, एमपी, दिल्ली, हरियाणा से मिलने वाली बिजली नहीं मिल पा रही है, इससे ज्यादा परेशानी आ रही है, वहीं अडाणी का एक प्लांट बंद होने से भी पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिल पा रही है। ऐसे में वोल्टेज रेगुलेट करने के नाम पर मैन्युअल ट्रिपिंग की जा रही है। इसमें दिन में दो से तीन बार तक कुछ देर के लिए बिजली बंद रखी जा रही है। हालांकि घोषित कटौती एक घंटे के रुप में ही है। लेकिन एग्रीकल्चर डिमांड बढ़ी होने से गांवों की बिजली व्यवस्था पहले से बदहाल है। प्रदेश में इस सीजन में बारिश नहीं होने से बिजली डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इस समय 39 फीसदी तक बिजली की मांग बढ़ गई है। वहीं किसानों ने फसलों को बचाने के लिए खेतों में मोटरें चालू दी है। दिन में कई बार बिजली गुल हो जाती है, बीच-बीच में ट्रीप को मिलाकर तीन से चार घंटे तक कटौती होती है। शाम के समय यदि बिजली सप्लाई होती भी है तो उसमें भी वोल्टेज काफी कम मिल रहा है। सूत्रों ने बताया कि कई बिजली उत्पादन प्लांट बंद होने के कारण बिजली जीएसएस पर लोड पड़ रहा है। इससे एकदम से वोल्टेज कम व ज्यादा हो रहा है। इसी कारण दिन में कई बार कर्मचारी वोल्टेज कम होने पर मैन्युअल ट्रिपिंग कर रहे हैं। मैन्युअल ट्रिपिंग एक प्रकार से उस क्षेत्र की बिजली काटने को कहते हैं यह ट्रिपिंग जब तक वोल्टेज सामान्य नहीं होता है तब तक रखी जाती है। यह दिन में दो से तीन बार भी हो सकती है। ऐसे में यही ट्रिपिंग अघोषित बिजली कटौती का रुप ले रही है।
