बाजार में जैविक व हर्बल गुलाल की महक, इस बार व्यापारियों के खिले चेहरे

दौसा। दौसा रविवार को रंगों के त्योहार पर बाजारों में रंग नजर आया। जैविक और हर्बल गुलाल से बाजार महक रहा है। हालांकि, इस बार मशहूर ब्रांड ने अपने रेट 15 से 20 फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। इसके बावजूद लोगों ने बाजार में जमकर खरीदारी की। बाजार में इस बार हर्बल गुलाल और 12 रंगों के ऑर्गेनिक व पैकिंग वाले गुलाल की ज्यादा डिमांड है। शहर में रंग-गुलाल के 15 से अधिक थोक व्यापारी हैं। जिनसे शहर के 200 से अधिक फुटकर दुकानदार होली पर मांग के अनुसार रंग खरीदते हैं। दौसा मानगंज में पिछले कई सालों से रंगों के थोक व्यापारी महेश कुमार गुप्ता का कहना है कि अब लोग गुलाल में लोकल ब्रांड की खरीदारी नहीं करते हैं. ऐसे में पिछले साल 90 रुपये किलो बिकने वाला हर्बल गुलाल इस बार 100 रुपये किलो तक पहुंच गया है. खासतौर पर जयपुर से मंगाए जाने वाले रोज ब्रांड की डिमांड काफी बढ़ गई है। वहीं जिस ब्रांड की कीमत पिछले साल 72 रुपये थी वह इस बार 80 रुपये किलो हो गया है, जबकि स्थानीय ब्रांड 65 से 70 रुपये प्रति किलो पर मिल रहा है। शहर में बिक्री के लिए लाई गई नई डिजाइन की पिचकारी इस बार बच्चों को खूब लुभा रही है। बाजार में इस बार बीन, बांसुरी, लॉग पिस्टल, गन, डोरेमोन टैंक, गेम, मिकी माउस, खिलौने पिचकारी, मैजिक ग्लास, कलर स्प्रे, चश्मा पिचकारी सहित विभिन्न प्रकार की सामग्री बाजार में बिक्री के लिए लाई गई थी।
व्यापारी दिनेश गुप्ता ने बताया कि इस बार बाजार में फ्लेवर्ड कलर भी आ गए हैं, लेकिन परंपराओं के चलते इनकी डिमांड कम है। आज भी लोग गुलाल, हर्बल गुलाल और रंगों की अधिक मांग कर रहे हैं। वहीं पिचकारी के रेट में भी दस फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। पिछले साल तक पिचकारी 80 से 90 रुपए की थी। इसका रेट बढ़कर 100 रुपये हो गया है। दुकानों पर 5 रुपये से लेकर 500 रुपये तक की पिचकारियां मिल रही हैं। पर्दे पर रंग और गुलाल को लेकर लोग काफी सचेत रहते हैं। गुलाब और सुगंधित, फूलों और पत्तियों से बने हर्बल गुलाल और जैविक गुलाल ने बाजार को महंगा कर दिया है। बाजार में दुकानों में इसकी डिमांड ज्यादा है। इस बार भी दाम बढ़े हैं, 100 ग्राम के पाउच में आने वाला यह गुलाल खुले बाजार में 40 से 50 रुपये प्रति पैकेट के हिसाब से बिक्री के लिए उपलब्ध है. आमतौर पर बिकने वाले रंगों गुलाल के साथ इस बार फूलों से बने हर्बल रंग और जैविक गुलाल भी बाजार में उपलब्ध हैं। ऑर्गेनिक गुलाल की भी इस बार काफी डिमांड है। शहर में होली के त्योहार पर बाजारों में रौनक है। खरीदारी को लेकर व्यापारियों के चेहरे खिले हुए हैं। रंग-गुलाल और मिठाई की दुकानों पर लोगों ने जमकर खरीदारी की। होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा बिना भद्रा के शास्त्रार्थ रहेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित कांता प्रसाद महेश्वरा ने बताया कि 6 मार्च को प्रदोष काल में पूर्णिमा होने के कारण इस दिन होली का पर्व मनाया जाएगा. भद्रा मुख काल या प्रदोष काल में भद्रा मुख को छोड़कर होलिका दहन करना श्रेष्ठ बताया गया है। इसलिए 6 मार्च सोमवार को होली पर्व और होलिका दहन होगा। होलिका दहन करने का सबसे अच्छा समय शाम को 6:26 से 6:38 के बीच होगा। उन्होंने बताया कि धुलंडी का पर्व 7 मार्च को मनाया जाएगा, जबकि भाई दूज का पर्व 9 मार्च को होगा।
