पापों से मुक्ति के लिए इस विधि से करें सप्तऋषियों की पूजा

पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत पूजन किया जाता है जो कि गणेश चतुर्थी के अगले दिन पड़ता है इस दिन सप्तऋषियों की पूजा आराधना की जाती है। इस बार ऋषि पंचमी का त्योहार 20 सितंबर दिन बुधवार यानी आज किया जा रहा है।
इस दिन ब्राह्माणों को दान दक्षिणा देने का बड़ा महत्व होता है। मान्यता है कि ऋषि पंचमी के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से जाने अनजाने में होने वाले पापों से मुक्ति मिल जाती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा ऋषि पंचमी की पूजा विधि बता रहे हैं तो आइए जानते है।
ऋषि पंचमी पर ऐसे करें पूजा—
ऋषि पंचमी के शुभ दिन यानी 20 सितंबर को महिलाएं सुबह उठकर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर पूजन स्थल की अच्छी तरह साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें। फिर पूजन सामग्री को एकत्रित करें जिसमें धूप, दीपक, फल, पुष्प, घी, पंचामृत, आदि शामिल हो।
इसके बाद एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। और सप्तऋषि की तस्वीर स्थापित करें। आप चाहें तो इस दिन अपने गुरु की तस्वीर को भी स्थापित कर सकते है। अब उन्हें फल, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। इसके बाद व्रत कथा सुने या पढ़ें। फिर सप्त ऋषियों की आरती कर प्रसाद का वितरण सभी में करें। मान्यता है कि इस विधि से पूजा पाठ करने से ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
