सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने के लिए कदम बढ़े

नोएडा: डिस्ट्रिक डवलपमेंट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (डीडीआरडब्ल्यूए) ने निठारी कांड के केस को उच्चतम न्यायालय में लड़ने का फैसला लिया है. संगठन की टीम ने निठारी गांव में जाकर पीड़ितों से दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराए.
टीम ने पीड़ित झब्बू, उनकी पत्नी सुनीता, रामकृष्ण और जमुना प्रसाद से मुलाकात की. टीम इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर जाएगी और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देगी. नोएडा के सबसे चर्चित निठारी कांड की कमान टीम ने अपने हाथों में ले ली है. टीम ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने के लिए कागजी प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह केस एनपी सिंह सुप्रीम कोर्ट में लड़ेंगे. इससे पीड़ित परिवारों में फिर से न्याय की उम्मीद जगी है.

पुलिस ने इसके बाद मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था. गाजियाबाद की सीबीआई अदालत में सुरेंद्र कोली को 12 मामलों और मोनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में फांसी की सजा सुनाई थी. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद इस साल 16 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया. उसके नौकर सुरेंद्र कोली को भी 14 मामलों में बरी कर दिया गया. सुरेंद्र कोली अभी दो मामलों में उम्रकैद की सजा काट रहा है.
कई मामले में सक्रिय भूमिका रही
चाहे ट्विन टावर मामला हो या डीएनडी मामला हो, दोनों में ही आरडब्ल्यूए की सक्रिय भूमिका रही और लोग कानूनी लड़ाई जीते. एक बार फिर से शहर की डीडीआरडब्ल्यूए ने नोएडा के सबसे चर्चित निठारी कांड की कमान अपने हाथों में ले ली है. इस प्रयास से जेल से रिहा हुए मोनिंदर पंढेर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
मासूम की मां बोली, फांसी की सजा मिले
निठारी कांड में मारी गई मासूम बच्ची ज्योति की मां सुनीता ने कहा कि सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को फांसी की सजा होनी चाहिए. प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री से मांग है कि जिस तरह उनकी बच्ची को तड़पा तड़पा कर मारा गया है, उसी तरह निठारी कांड के दोषियों को फांसी की सजा दी जाए. अगर मालिक के बाद नौकर भी बाहर आ गया तो यह पक्का हो जाएगा कि गरीबों का कोई नहीं होता है.